उत्तरप्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से रमेश मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि भारत में लैंगिक असमानता आज से नहीं बल्कि बहुत पुराने समय से चल रही है। लड़कों द्वारा चार लड़कियों को दरकिनार करना प्राचीन काल से यहाँ की बुराइयों में से एक माना जाता है। भारत जैसे देश में निरक्षरता का वर्चस्व था, जहां लोग लड़कों को ही सब कुछ मानते थे, लैंगिक असमानता एक बड़ी समस्या बन गई थी। पिछले कुछ वर्षों में सरकार की नीतियों, विशेष रूप से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, को बेटियों को बेहतर वातावरण और समाज देने के लिए आगे लाया गया। आज सरकार ने व्यापक भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए हैं कि न केवल बेटी बल्कि बेटा भी सब कुछ है। आज लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है। लोग अब बेटियों को भी घर की लक्ष्मी मान रहे हैं, अगर यह स्थिति बनी रही तो लैंगिक असमानता में पीछे रह रहा भारत आने वाले कुछ समय में अन्य देशों को भी लैंगिक समानता के लिए प्रेरित करेगा।