पर से लाचार है पर चला रहे हैं पूरा परिवार, जी हम बात कर रहे हैं उत्कर्ष जी की जो की एक छोटी सी किराने की दुकान चला हैं पांडेपुर में, उत्कर्ष जी का कहना है कि भले ही मैं पैर से लाचार हूं पर मैं अपने परिवार के लिए इस दुकान को चलाता हूं और मुझे खुद पर गर्व भी महसूस होता है, मेरी पत्नी का भी पूरा सहयोग रहता है, इस दुकान को चलाने में मेरे साथ कभी-कभी मेरे बच्चे भी बहुत हद तक मदद कर देते हैं, इस दुकान से ही मैं अपने पूरे परिवार का खर्चा निकलता हूं, कोई भी बाहरी सहयोग मुझे नहीं लेना पड़ताह, मेरा पर भले ही मेरा साथ ना दे पर मेरा परिवार मेरे साथ है