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भारतीय संविधान किसी के आर्टिकल 14 से लेकर आर्टिकल 21 तक समानता की बात कही है, इस समानता धार्मिक आर्थिक राजनीतिक और अवसर की समानता का जिक्र किया गया है। इस समानता किसी प्रकार की जगह नहीं है और किसी को भी धर्म, जाति और समंप्रदाय के आधार पर कोई भेद नहीं किये जाने का भी वादा किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के हालिया फैसले में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि वह धर्म की पहचान के आधार भेदभाव पैदा करने की कोशिश है।दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? क्या आप सरकार के फैसले के साथ हैं या फिर इसके खिलाफ, जो भी हो इस मसले पर आपकी क्या राय है? आप इस मसले पर जो भी सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीव दास साहू ,ज्वार के फसल में लगने वाले रोग और किट नियंत्रण की जानकरी दे रहे हैं। ज्वार के फसल से जुड़ी कुछ बातें किसानों को ध्यान में रखना ज़रूरी है। इसकी पूरी जानकारी सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
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छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंद से विरेंद्र , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि पहली बात महिला और पुरुष दोनों इंसान हैं और इंसान होने के नाते जब दोनों की भूख और प्यास एक जैसी होती है, तो दोनों का दुख और दर्द एक जैसा होता है। दोनों का जीवन एक जैसा है। आज के आधिनिक जीवन में कई पुरुष महिलाओं को कमतर मानते है और उनको किसी भी चीज़ों का अधिकार नहीं देना चाहते है। महिला और पुरुष दोनों को समान अधिकार मिलना चाहिए। जब हम अपने आप को आधुनिक मानते है तो हमारे विचार में भी आधुनिकता होनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंद गाँव से वीरेंद्र , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि लैंगिक भेद इसीलिए आज भी चल रहे है क्यूंकि आज के जो शिक्षित वर्ग है और जो बड़े बड़े पदों पर आसीन है वह जानबूझ कर लैंगिक भेद करते है, और महिलाओं को अधिकारों से वंचित रखते है। वह नहीं चाहते की महिलायें आगे बढे और उनका सम्म्मान हो और उनका विकाश हो। आज देखा जा रहा है की जो पढ़ा लिखा व्यक्ति है वह भी अपनी पत्नी को गुलाम बना कर रखना चाहते है। तो एसे लोगों के लिए सजा की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए। जो बड़े बड़े पदों पर है फिर भी उनको अधिकारों से वंचित रखते है तो उनको सजा तो मिलनी ही चाहिए।
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"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा धान की सीधी बुवाई तकनीक से होने वाले कई लाभ के बारे में जानकारी दे रहे हैं। विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा नींबू के फसल के बारे में जानकारी दे रहे हैं। विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
मोटाभाई ने महज एक शादी में जितना खर्च किया है, वह उनकी दौलत 118 बिलियन डॉलर का 0.27 है। जबकि उनकी दौलत कृषि संकट से जूझ रहे देश का केंद्रीय बजट का 7.5 प्रतिशत से भी कम है। जिस मीडिया की जिम्मेदारी थी कि वह लोगों को सच बताएगा बिना किसी का पक्ष लिए, क्या यह वही सच है? अगर हां तो फिर इसके आगे कोई सवाल ही नहीं बनता और अगर यह सच नहीं तो फिर मीडिया द्वारा महज एक शादी को देश का अचीवमेंट बताना शुद्ध रूप से मुनाफे से जुड़ा मसला है जो विज्ञापन के रुप में आम लोगों के सामने आता है। क्योंकि मीडिया का लगभग पचास प्रतिशत हिस्सा तो मोटाभाई का खुद का है और जो नहीं है वह विज्ञापन के लिए हो जाता है "कर लो दुनिया मुट्ठी में” की तर्ज पर। दोस्तों, इस मुद्दे पर आप क्या सोचते है ?अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाईलवाणी पर, अपने फोन से तीन नंबर का बटन दबाकर या फिर मोबाईल का एप डाउनलोड करके।