मोबाइल वाणी और माय कहानी का एक ख़ास पेशकस आपके लिए कार्यक्रम भावनाओं का भवर जहाँ हम सुनेंगे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने से जुड़ी कुछ जानकारियां तो चलिए आज सुनते हैं कि माता-पिता के झगड़े से उपजे तनाव से हम अपने आपको सुरक्षित रख सकते हैं? साथ ही बताएं कि क्या आपने कभी ऐसा कुछ महसूस किया है या ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं जिन्होंने ऐसी स्थिति का सामना किया है? ऐसी परिस्थिति में आपको क्या लगता है कि आपके सबसे नजदीकी रिश्ते को बनाए रखने में और किस तरह की मदद उपयोगी हो सकती है? साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। https://www.youtube.com/@mykahaani
नमस्कार,दोस्तों! मोबाइल वाणी और माय कहानी आप के लिए लेकर आये है कार्यक्रम भावनाओं का भँवर, जहाँ हम सुनेंगे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने से जुड़े कुछ जानकारी। क्योंकि मानसिक विकार किसी की गलती नहीं होती, इसलिए इससे जूझने से बेहतर है कि इससे जुड़े पहलुओं को समझना और समाधान ढूंढ़ना । तो चलिए सुनते हैं कि चुप रहना हमारे मन और मस्तिष्क को किस तरह से प्रवाहित करता है और छुपी तोड़ना क्यों जरूरी है? साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। https://www.youtube.com/@mykahaani
छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिला से वीरेंदर गन्धर्व ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि आज के समय में भावनाएं है ही नहीं , डिजिटलीकरण के चक्कर में मनुष्य सारा समय मशीनों के साथ गुज़रता है। मनुष्य से दूर हो कर मशीनों के करीब होने के कारण मनुष्य मानसिक रोग का शिकार भी बनता जा रहा है।
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आज के भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में मानसिक तनाव एक बहुत बड़ा चिंता का विषय बन गया है। मानसिक स्वास्थ्य न सिर्फ हमारे मन को बल्कि भावनाओं, सामाजिक व्यवहारों और शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है । यह हमारे सोचने, महसूस करने, और काम करने के तरीके को निर्धारित करता है। बढ़ते मानसिक तनाव को कम करने के उद्देश्य से हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है, जो मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर ध्यान आकर्षित करता है। साथियों, हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है। और इस साल यानी 2024 का थीम है "कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय आ गया है"। यह थीम व्यवसायों के लिए मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले वातावरण बनाने की आवश्यकता पर जोर देता है। आज के समय में कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य एक चिंता का विषय बन गया है क्योंकि अधिक से अधिक व्यक्ति काम से संबंधित दबावों के कारण तनाव, चिंता और डिप्रेशन का अनुभव करते हैं। इस मुद्दे को संबोधित करने से न केवल कर्मचारियों को लाभ होता है बल्कि संगठनात्मक उत्पादकता और संस्कृति भी बढ़ती है। साथ ही मन में सकारात्मक सोच का संचार होता है।
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इस कार्यक्रम में हम जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और असमान बारिश के पैटर्न से उत्पन्न हो रहे जल संकट पर चर्चा करेंगे। "मौसम की मार, पानी की तकरार" से लेकर "धरती प्यासी, आसमान बेपरवाह" जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा। हम समझेंगे कि कैसे सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारे जल संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर क्या समाधान हो सकते हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं – आपके इलाक़े में पानी की क्या स्थिति है? क्या आपने कोई जल संरक्षण के उपाय अपनाए हैं? या आप इस दिशा में कोई क़दम उठाने की सोच रहे हैं?