यह भावनाओं के आहत होने का दौर है पता नहीं चलता कब किसकी कौन सी भावना आहत हो जाए। इन खिलाड़ियों के ऐसा करने के पीछे का कारण एक बाहुबली नेता के सहयोगी का एक खेल संघ के अध्यक्ष पद पर चुना जाना। इससे पहले वह नेता ही बीते दशक भर से इस संघ को चला रहा था, उस पर नाबालिगों के यौन शौषण के आरोप हैं, पुलिस इसकी जांच कर रही है लेकिन इस जांच के क्या नतीजे होंगे उसको क्या सजा मिलेगी यह सब सरकार की मर्जी पर निर्भर करता है । *------दोस्तों आपको क्या लगता है क्या हमारे देश के पहलवान जो यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं वे अपनी जगह पर ठीक हैं या उनमें कुछ है जो उन्हें गलत साबित करता है, उन्हें किसी के हाथ का खिलौना बनाता है। हो सकता है कि आप इन दोनों में से किसी एक विचार से सहमत हों। वह विचार चाहे जो भी हो उसे कहिए, बोलिए, हमें बताइए, क्योंकि एक महान लोकतंत्र के लिए लोगों का बोलना ज़रूरी है

सुनिए जेंडर हिंसा के खिलाफ चलने वाले इस कार्यक्रम, 'बदलाव का आगाज़', में आज सुनिए पतोत्री वैद्य जी को, जिनका कहना है युवाओं की सोच में एक नई उम्मीद और दृष्टिकोण है जो समाज में जेंडर के खिलाफ होने वाली हिंसा को रोकने के लिए सक्रिय रूप से उतर रहा है। युवा समझते हैं कि जेंडर परिवर्तन का मतलब सिर्फ नारा नहीं है, बल्कि सोच और आदतों में भी बदलाव लाना है।अब आप हमें बताएं कि जेंडर आधारित हिंसा के खिलाफ आप क्या सोच रहे हैं और इसे खत्म करने के लिए क्या कोशिश कर रहे हैं? अपने विचार और सुझाव हमें बताएं अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर

यह कहानी एक लड़की की साहस और संघर्ष की है, जिसने अत्याचार को मात दिया और नये जीवन की धारा चलाई। मायके का साथ बना उसका सहारा, बेटे को बड़ा किया सच्चाई की पुकार से। उमा ने सिखाया, हिंसा से ना डरो, आगे बढ़ो, सपनों को हकीकत में बदलो। आपको लगता है कि उमा ने अपने जीवन में सही निर्णय लिया था, जब वह अपने परिवार के खिलाफ खड़ी हुई थी? उमा की कहानी आपको कैसे प्रेरित करती है और आपके विचारों में समाज में इस तरह की स्थितियों पर सहायता और बदलाव कैसे लाया जा सकता है?

सुनिए जेंडर हिंसा के खिलाफ चल रहे हमारे इस कार्यक्रम बदलाव का आगाज़ में आज यशस्विनी जी ने उन कानूनों के बारे में बताया जो इस मामले में पीड़ित की मदद कर सकते हैं और बताए उन संगठनों की नाम जो जेंडर-आधारित हिंसा के मामलों में लोगों को कानूनी प्रक्रिया में सहायता करते हैं। आपके विचार में, समाज में जेंडर हिंसा के खिलाफ बदलाव के लिए सबसे बड़ी जरूरत क्या है? जेंडर हिंसा के खिलाफ लड़ाई में कानून कितना महत्वपूर्ण है? क्या आपने कभी जेंडर हिंसा के खिलाफ किसी की मदद की है?

जेंडर हिंसा के खिलाफ चल रहे हमारे इस कार्यक्रम बदलाव का आगाज़ में आज सुनिए यशस्विनी जी को, जो जेंडर आधारित हिंसा पर कानूनी मामलों की जानकार हैं। यशस्विनी जी का कहना है कि अगर हिंसा है तो उसे करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का कड़ा प्रावधान भी है. बस जरूरत है तो... कदम बढ़ाने की!

दोस्तों, लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ सक्रियता के 16 दिन पूरे होने हो हैं... लेकिन हमारा अभियान बदलाव का आगाज जारी है... इस कार्य क्रम में हमने बीते कुछ दिनों में बहुत सी कहानियां सुनी...इन सभी ने हमें प्रेरित भी किया और सोचने पर मजबूर भी...! सोचना ये है कि आखिर कैसे लिंग और पहचान, ऊँच और नीच, अमीर और गरीब, रंग और भेद के नाम पर हिंसा के इस क्रम को रोका जा सकता है..? अगर आपके पास जवाब है तो जरुर रिकॉर्ड करें. साथ ही अपने आसपास से ऐसी और भी कहानियां लेकर हमारे पास आएं... अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

जेंडर हिंसा के खिलाफ 16 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम, 'बदलाव का आगाज़', में आज सुनिए लोक लाज के बंधन में बंधी यह महिला जो दहेज के लोभियों के हाथों घरेलू हिंसा की सज़ा झेल रही थी, और आखिर में इसके खिलाफ उठाया उन्होंने एक कदम।

साथियों, आपने वो कहानी तो सुनी ही होगी कि एक लकड़ी को तो कोई भी तोड़ सकता है लेकिन लकड़ियों के बंडल को तोड़ना आसान नहीं है.. कई मुश्किलें ऐसी होती हैं जिन्हें अकेले से ज़्यादा कई लोग मिलकर हल कर सकते हैं. जी हाँ यही है एकता की ताकत. इसी ताकत को आप तक पहुंचा रहे हैं हम अपने कार्यक्रम बदलाब का आगाज़ के ज़रिये, इसमें 16 दिनों तक बातें होंगी हिंसा के खिलाफ सक्रियता को लेकर।

Transcript Unavailable.

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