त्रिलोकपुरी से हमारी श्रोता ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि वो अपनी बेटी अवंतिका की घबराहट को एक से लेकर पाँच या दस तक गिनती करवा कर या ताली बजा कर दूर करती है। कार्यक्रम से बहुत मदद मिलती है। बच्चों की स्थिति को समझने में मदद मिलती है
हमारी श्रोता प्रियंका ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि उन्हें खेले सब संग का कार्यक्रम बहुत अच्छा लगता है। इससे उन्हें सीख मिलती है कि बच्चों के साथ गुस्सा में व्यवहार करने से कुछ नहीं मिलता बल्कि शांति से बात करने पर बच्चों के मन की बातों का पता चलता है
एटीएस डॉल जीटावन से रिजवाला ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि खेले सब संग कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों और अभिभावकों को बहुत मदद मिल रही है। अभिभावक बच्चों की भावनाओं को पहचान रहे है तथा बच्चों को उनकी भावनाओं के उलझनों से निकालने व उन्हें समझने की सीख मिल रही है। ऐसे ही नए नए कार्यक्रम आते रहे। कहानी बहुत अच्छा है ,इसका समय भी बहुत अच्छा है
हमारी श्रोता उर्मिला ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है बच्चों के साथ खेलते हुए उनसे चीज़ों के बारे पूछ सकते है। जैसे टमाटर के रंग ,पेड़ों का रंग ,दूध का रंग आदि। रंगों के माध्यम से चीज़ों की जानकारी लेते है। ऐसे में रंगों की पहचान बच्चों को होती है और उनसे इस माध्यम से कई सिखाई गई चीज़ों के बारे मालूम कर सकते है
नई सीमापुरी से सुरेना ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है कि वो अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है। एक दिन उनके बच्चे बैडमिंटन की मांग कर रहे थे। चूँकि उनके पास बैडमिंटन ख़रीदने के पैसे नहीं थे तो उन्होंने घर पर ही पन्ने इकट्ठे कर के उसका बॉल बना दिया और दो डंडे को पट्टे से जोड़ कर उसका बल्ला बना दिया । बल्ला व बॉल को देखकर बच्चा बहुत खुश हुआ और उससे दिनभर खेला। इससे उन्हें बहुत ख़ुशी हुई। उनके पास जब भी पैसे नहीं होते है तो वो अपने बच्चो के लिए पन्नो से कुछ न कुछ ख़िलौने बना कर अपने बच्चों को देती है। इससे बच्चा भी खुश रहता है और सुरेना भी।
दक्षिणपुरी से सुमन ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है कि दैनिक कार्यों के दौरान वो अपनी बेटी के साथ बातचीत करती है। खाना बनाने के दौरान उनकी बेटी से वो सब्जियों के नाम पूछती है। आटा गुंदते वक़्त व कपड़े धोते समय बेटी को काम सीखाने के साथ उससे रगों की जानकारी भी लेती है। गाना बजा कर बेटी के साथ नाँचना उन्हें अच्छा लगता है। बेटी जब खेलती है तो उससे रंग ,आकार पूछती है इस तरह से बेटी के साथ खेलना सुमन को अच्छा लगता है।
उत्तरप्रदेश राज्य के बदायुँ ज़िला से सुमेन्द्र ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि उन्हें खेले सब संग कार्यक्रम बहुत अच्छा लगता है। वो व्यस्त रहने के कारण अपने बच्चों के साथ ज़्यादा समय नहीं बिता पाते है लेकिन जब भी उन्हें समय मिलता है वो लगभग 30 मिनट अपने बच्चों के साथ खेल लेते है। उन्हें बच्चों के साथ खेलना अच्छा लगता है। उनके बच्चे खेलने के साथ पढ़ाई भी करते है और सारे काम भी करते है। उन्हें कार्यक्रम का खेल बहुत पसंद आया है। वो कहते है कि बच्चों को खेलने के साथ पढ़ाई करना भी ज़रूरी है। बच्चे पढ़ाई पर ध्यान जरूर दे पर खेले भी क्योंकि जिस तरह पढ़ाई से सीख मिलती है वैसे ही खेल से भी सीख मिलती है।
हैदरपुर से बिमला ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि उनके बच्चे काम के दौरान उनकी मदद करते है। साफ़ सफाई करते वक़्त बच्चे हाथ बटाते है। वो जब अलमीरा में पेपर बिछाती है तो बच्चे पेपर पकड़ा देते है ,जब पँखे की सफ़ाई करते है तो बच्चे साफ़ करने के लिए कपड़ा देते है। इससे उनका बच्चों के साथ खेलना भी हो जाता है ,बच्चे मस्ती भी कर लेते है और उन्हें बहुत कुछ सीखने को भी मिल जाते है।
कंचन देवी खेले सब संग कार्यक्रम के माध्यम से बताती हैं कि खेले सब संग कार्यक्रम बहुत अच्छा लगता है। बच्चों के साथ खेलने से बच्चे और माता -पिता के बीच का संबंच बहुत मजबूत होता है ,बच्चों में माता -पिता के प्रति सम्मान बढ़ता है ,बच्चों के अंदर का डर भी निकल जाता है। जिसके बाद बच्चे भी माता पिता से अपनी सारी बाते व समस्याओं को बताते हैं। माता -पिता को भी बच्चे के भावनाओं को कदर करनी चाहिए
हैदरपुर से हमारी श्रोता ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है कि उनकी बेटी सृष्टि एमसीडी प्ले स्कूल में पढ़ती है। कहानी के द्वारा सृष्टि को जानवरों की जानकारी मिली है। सृष्टि को जानवरों की आवाज़ निकालना पसंद है। उसे पता है कि जानवर किस तरह की आवाज़े निकालते है।