फीलिंग्स यानि भावनाएँ कई तरह के होते हैं। गुस्सा, उदासी, घबराहट, जलन वग़ैरह-वग़ैरह। ठीक वैसे ही भावनाओं को समझने और सँभालने के तरीके भी अलग-अलग हो सकते हैं। बस यही तरिके हमे अपने बच्चों को भी सिखाने हैं और उनके साथ मिल कर इन तरीकों की प्रैक्टिस करनी है ताकि बच्चे भी अपनी भावनाओं को खुद संभाल पाएं ,तभी तो वो ज़िन्दगी में आगे बढ़ पाएंगे और उसके उतार चढ़ाओ से जूझ पाएंगे।