हमारी श्रोता पूजा ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि बच्चों की भावनाएँ जैसे कब वो खुश रहते है कब दुखी रहते है,बिजली कड़कने पर डरते है ,इस वक़्त में भावनाओं को समझने का काम अभिभावकों का होता है। बच्चे जब बीमार होते तब भी वो कुछ महसूस नहीं कर पाते है,इसे पता लगाने का काम माता पिता का ही होता है