सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है। आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में बचपन मनाओ सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3.
छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगाँव से वीरेंदर गंदर्व ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि अगर माता पिता बाहर खाना खा रहे है तो बच्चे भी तो यही सीखेंगे। पहले के समय से बच्चों को घर का पौष्टिक भोजन मिलता था। इससे बच्चे स्वस्थ रहते थे और घर का ही खाना खाने का आदत रहता था। लेकिन आज के समय में माता पिता को पहले खुद की आदत में सुधार लाना है ताकि बच्चे देख कर सीखे। बच्चों को घर का पौष्टिक आहार दें ताकि बीमारियों से बचे।
माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है।आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में बचपन मनाओ सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3.
Transcript Unavailable.
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दोस्तों, राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट के अनुसार एक महिला अभी भी 2.5 किमी तक पैदल चलकर जाती हैं ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अपने परिवार के लिए पीने का पानी लाने में औसतन दिन में 3-4 घंटे खर्च करती हैं, यानि अपने पूरे जीवन काल में 20 लाख घंटों से भी ज्यादा. क्या आपको ये बातें पता है ?और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें.
छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगाँव से वीरेंदर ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि बच्चों को बाहर का खानपान का आदत है क्योंकि ये आदत माता पिता ही डालते है । बच्चों का शारीरिक विकास पौष्टिक आहार से ही होगा तो बच्चों को घर का खाना खाने का ही आदत दिलवाना चाहिए। साथ ही बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहिए इससे बच्चों का बौद्धिक विकास रुक जाता है। बच्चों को टीवी में कार्टून के माध्यम से पशु पक्षी को दिखाया जाए,बच्चों जानवरों पक्षियों का अपनी तरह से नाम लेंगे। इस तरह बच्चों का विकास होता है। साथ ही घर में नशा पान नहीं होना चाहिए ताकि बच्चों पर गलत सन्देश न जाए। बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास करना है तो घर में ही सभी सदस्य प्यार से रहे ,बच्चों के साथ समय बिताए ,उनके साथ खेले और अच्छी फिल्मे दिखाए ,अच्छी जगह घुमाने ले कर जाए ताकि उनका विकास हो। खिलौनों से भी बच्चों का कौशल विकास होता है।
दोस्तों, मोबाइलवाणी के अभियान क्योंकि जिंदगी जरूरी है में इस बार हम इसी मसले पर बात कर रहे हैं, जहां आपका अनुभव और राय दोनों बहुत जरूरी हैं. इसलिए हमें बताएं कि आपके क्षेत्र में बच्चों को साफ पानी किस तरह से उपलब्ध हो रहा है? क्या इसमें पंचायत, आंगनबाडी केन्द्र आदि मदद कर रहे हैं?आप अपने परिवार में बच्चों को साफ पानी कैसे उपलब्ध करवाते हैं? अगर गर्मियों में बच्चों को दूषित पानी के कारण पेचिस, दस्त, उल्टी और पेट संबंधी बीमारियां होती हैं, तो ऐसे में आप क्या करते हैं? क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से बच्चों का इलाज संभव है या फिर इलाज के लिए दूसरे शहर जाना पड रहा है? जो बच्चे स्कूल जा रहे हैं, क्या उन्हें वहां पीने का साफ पानी मिल रहा है? अगर नहीं तो वे कैसे पानी का इंतजाम करते हैं?