छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगाँव ज़िला से वीरेंद्र गंदर्व ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि संसार बना है तो सब मनुष्य एक सामान नहीं है। कोई अमीर है कोई गरीब है ,कोई ठीक है कोई दिव्यांग है। कम पैसों में जीवन चल सकता है ,इसमें संतुष्ट रहना ज़रूरी है। अपने पास जो है उसमेें ही खुश रहना सीखना चाहिए और मन को मनाए। इससे मानसिक तनाव नहीं आएगा। इच्छा कम से कम रखना चाहिए क्योंकि ज़्यादा इच्छा रखना दुख का कारण बनता है। जितना पैसा है उतने से ही इच्छा पूरी करना चाहिए।
मोबाइल वाणी और माय कहानी की खास पेशकश कार्यक्रम भावनाओं का भवर में। साथियों, आज के समय में सभी के लिए पैसों का होना बहुत ही आवश्यक है। बहुत से लोगों की सोच होती है कि पैसे के बिना कुछ नहीं हो सकता है। लेकिन सच्चाई तो यह है कि अगर कोई चाहे तो कम पैसों में भी अपना गुजारा कर सकता है और अपने जीवन में खुश रह सकता है। पर यह कैसे संभव है ? तो चलिए आज की कड़ी में इसी विषय पर बात करते हैं और जानते हैं कि आखिर कम पैसों में भी खुश कैसे रहा जा सकता है। क्यूंकि मानसिक विकार किसी की गलती नहीं इसलिए इससे जूझने से बेहतर है इससे जुड़ी पहलुओं को समझना और समाधान ढूंढना. तो आइये सुनते हैं कम पैसों में खुश और स्वस्थ्य रहने के राज और इसके फायदों के बारे में।....... साथियों अभी हमने सुना की हमारे लिए अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना क्यों महत्वपूर्ण है ? अभी हमने सुना कि अगर कोई इंसान चाहे तो कम पैसों में भी जीवन में खुश रह सकता है। अब अगली कड़ी में जानेंगे कि दूसरों से अलग होते हुए भी एक व्यक्ति खुद को अपने वास्तविक रूप को स्वीकार करके और हंसी - ख़ुशी से कैसे अपना जीवन बिता सकता है ? लेकिन उससे पहले आप हमें बताएं कि आज के इस दिखावे और चकाचौंध से भरी दुनिया में एक इंसान कम पैसों में खुद को कैसे खुश और स्वस्थ रख सकता है ? क्या आपने ऐसा अनुभव कभी अपने जीवन में किया है कि आपके पास इतने पैसे नहीं हो जितनी की आपको जरूरत हो और फिर भी आपने चीजों को अच्छे से मैनेज किया हो अगर हाँ तो कैसे? अपना अनुभव हमारे साथ साझा करें।साथियों अकसर हमें यह सुनने को मिल जाता है कि जितना है उतना में खुश रहना सिखो लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है यार फिर यह सिर्फ एक कहावत ही बनकर रह जाता है ? आपके अनुसार किसी व्यक्ति के जीवन में पैसा होना या न होना उसके मन मस्तिष्क को किस हद तक प्रभावित कर सकता है ? दोस्तों, अगर आज के विषय से जुड़े आपके मन में कोई सवाल है तो हमें जरूर बताएं अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। हम कोशिश करेंगे उनका जवाब ढूंढ के लाने की। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/@mykahaani
छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगाँव से वीरेंदर गंदर्व ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि तन मन स्वस्थ है तो जीवन स्वस्थ है। सबसे पहले शारीरिक उन्नति होना ज़रूरी है। इसका मतलब है कि शरीर से रोग दूर रहे। ये तब ही होगा जब नियम अनुसार जीवन जिए। कब खेलना है ,कब खाना है ,कब सोना है ये समय से हो,अच्छा पौष्टिक आहार खाए,मशीनों से दूर रहे। महापुरुषों की किताबें पढ़े ,समाज सेवा करें। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य स्वस्थ रहेगा। जीवन जीना एक कला है,उसे प्राप्त करे।
छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंद गांव से वीरेंदर , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि छह प्रकार के पोषक तत्व हैं जो एक व्यक्ति को समान रूप से मिलने चाहिए और लोगों को शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना चाहिए , थकावट नहीं होना चाहिए और नींद अच्छी आनी चाहिए। लोगों को हमेसा खुश रहना चाहिए और किसी भी काम को मन से करना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य रखने के लिए लोगों को मशीनो से दूरी बनाकर रखना चाहिए। लोगों से मिलना चाहिए , अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए। अच्छे विचारों को मन में स्थान देना चाहिए। इससे मानसिक स्वास्थय ठीक रहेगा। कई लोग कंप्यूटर और मोबाइल में लगे रहते है जिसके कारण उनका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। बच्चों के सामने किताबें पढ़नी चाहिए ,मोबाइल नहीं चलाना चाहिए।
मोबाइल वाणी और माय कहानी की खास पेशकश कार्यक्रम भावनाओं का भवर में। साथियों, वो कहते हाँ न की मन स्वस्थ तो तन स्वस्थ यानि की मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह से स्वस्थ रहना। हम खुद को हर रोज फ्रेश और तरोताज़ा महसूस करे इसके लिए जरुरी अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना और यह हम सभी जानते भी हैं पर फिर भी हम इस मामले में बहुत ही लापरवाह होते हैं।क्यूंकि , शायद हम इस बात से अनजान होते हैं कि वास्तविक रूप में स्वास्थ्य का मतलब होता क्या है ? और हमारे जीवन में स्वास्थ्य की भूमिका क्या है? तो चलिए आज की कड़ी में इसी विषय पर बात करते हैं और जानते हैं कि हमारे लिए अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना क्यों महत्वपूर्ण है। क्यूंकि मानसिक विकार किसी की गलती नहीं इसलिए इससे जूझने से बेहतर है इससे जुड़ी पहलुओं को समझना और समाधान ढूंढना. तो आइये सुनते हैं स्वास्थ्य की महत्ता और स्वस्थ रहने के फायदों के बारे में। ....... साथियों अभी हमने सुना की हमारे लिए अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना क्यों महत्वपूर्ण है ? अब अगली कड़ी में जानेंगे की पैसो के बिना भी खुश कैसे रहा जाता है . तब तक आप हमें बताए कि आपको क्या लगता है, क्या स्वस्थ रहने का मतलब सिर्फ अपना वजन घटाना है? या फिर इसमें और भी कुछ चीजें होती है? आप के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को किस प्रकार से प्रभावित करता है और क्या आप ने ऐसा होते हुए कभी देखा है ? अगर हाँ तो अपनी कहानी हमें बताएं।आपके अनुसार हमारे वे कौन कौन सी आदतें होती हैं जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं ? दोस्तों, अगर आज के विषय से जुड़े आपके मन में कोई सवाल है तो हमें जरूर बताएं अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। हम कोशिश करेंगे उनका जवाब ढूंढ के लाने की। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/@mykahaani
छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगाँव से वीरेंदर ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि खुद से प्यार करना होता है खुद को संभल कर रखना ,खुद की सुरक्षा करना है। आज के युग में मशीन ,इलेक्ट्रॉनिक के वजह से लोग खुद का ध्यान नहीं रख पा रहे है। इसमें लिप्त हो कर लोग रात को नींद नहीं ले रहे है ,दिन रात मशीन में लगे रहते है। अगर खुश रहना है तो मशीन से दूर रहे।
मोबाइल वाणी और माय कहानी की खास पेशकश कार्यक्रम भावनाओं का भवर में। दोस्तों, प्यार एक ऐसा शब्द है जो हर रिश्ते में एक अलग स्थान रखता है पर क्या आप जानते हैं कि प्यार का एक और रूप सेल्फ लव यानि कि खुद से प्यार भी होता है। तो चलिए आज की कड़ी में जानते हैं कि आखिर सेल्फ लव यानि कि खुद से प्यार आखिर होता क्या है और यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य से कैसे जुड़ा हुआ है ? दोस्तों आज के समय में मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना हर किसी के लिए उतना ही जरुरी है जितना की हमें जीवित रहने के लिए खाना और पानी की, इसलिए खुद का ख्याल स्वयं रखें और स्वस्थ्य रहे। क्यूंकि मानसिक विकार किसी की गलती नहीं इसलिए इससे जूझने से बेहतर है इससे जुड़ी पहलुओं को समझना और समाधान ढूंढना. तो अब आइये सुनते हैं सेल्फ लव और इसके फायदे के बारे में....अब अगली कड़ी में जानेंगे कि हमारे लिए स्वस्थ्य रहना क्यों महत्वपूर्ण है। तब तक बात करते हैं सेल्फ लव के बारे में जी हां दोस्तों यह कहा जाता है कि दूसरों से पहले खुद से प्यार करना सीखो क्यूंकि जब एक इंसान खुद से प्यार करता है,खुश रहता है तो वो अपने आस पास के लोगों को भी खुश सकता है। पर क्या वास्तव में ऐसा होता है ?आपके नाज़रीय में सेल्फ लव का क्या मतलब है यानी की आप सेल्फ लव को कैसे देखते हैं और यह खुदगर्ज़ी से कैसे अलग है? अगर मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टि से देखा जाए तो सेल्फ लव यानि कि खुद से प्यार करना और सेल्फ फॉर गिवनेस यानि की खुद को माफ़ करना हमारे मानसिक स्वास्थ्य से कैसे जुड़ा है ?आखिर ऐसा क्यों कहा जाता है कि लोग खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचते हैं ? क्या सच में ऐसा होता है ? इस पर राय, प्रतिक्रिया या फिर इससे जुड़ा आपके मन में कोई सवाल है तो जरूर रिकॉर्ड अपने फ़ोन में दबाएं नंबर 3 . साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/@mykahaani
छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंद गांव से वीरेंद्र , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि कई बार निर्णय एक दूसरे की नक़ल होती है। दूसरों को देखते हुए निर्णय कर लेते है और ये जानबूझ कर गलती कर दते है। अगर कोई व्यक्ति काम करने जाते है और उनको कोई पसंद आ जाती है वहां और शादी करने के लिए बोलते है तो लड़की अगर शादी करने से मना कर देती है तो उस व्यक्ति को मानसिक तनाव हो जाती है। अपने मन को शांत रखना चाहिए। मन को काम में लगा कर रखना चाहिए। निर्णय खुद न लेकर लोगों के साथ विचार कर के लेना चाहिए। इससे मानसिक तनाव नहीं होगा
महाराष्ट्र राज्य से जितेंद्र , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि अगर लोग पुस्तक और पर्यावरण से जुड़े रहेंगे तो उनका मेन्टल हेल्थ अच्छा रहेगा। पेंड़ लगाने से और सुबह - सुबह घूमने से मेन्टल हेल्थ अच्छा रहता है। ऐसे पुस्तक पढ़ना चाहिए जिससे शिक्षा मिले और बच्चों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इससे लोगों का मेन्टल हेल्थ अच्छा रहेगा और वह अच्छे से काम कर पाएंगे।
छत्तीसगढ़ राज्य के राजनानाद गांव से वीरेंद्र , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि जिसका दिमाग विकसित है वह सही निर्णय लेता है। निर्णय लेने के लिए व्यक्ति में चिंतन की शक्ति होनी चाहिए। उनमे सोचने -विचारने की क्षमता होनी चाहिए। बच्चों को अच्छी वातावरण देना जरूरी है। अच्छे लोगों के साथ रहना चाहिए जिससे अगर खुद निर्णय नहीं ले पाएंगे तो अच्छे लोगों से निर्णय ले सकते है। गलत निर्णय लेने के कारण रिश्ते खराब हो जाते है।