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त्याग और तपस्या का दूसरा नाम किसान है।देश के लोग इन्हे अन्नदाता भगवान के रूप में जानते है।लेकिन देश के कई राज्यों में किसानों की आत्महत्या का दौर थम नहीं रहा है. आज मध्य प्रदेश में किसान कर्ज, सूदखोरों व अन्य समस्याओं से परेशान होकर जान दे रहे है।सरकारें बदल जाती हैं लेकिन किसानों की समस्याएं ज्यों की त्यों रहती हैं। इस साल के शुरूआती 3 महीने में ही 116 किसानों ने मौत को गले लगा लिया। फसल की बर्बादी और ऋणों का बोझ किसानों को आत्महत्या के दहलीज पर पहुंचा रहे हैं।सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में किसानों की बढ़ती खुदकुशी के मामले में केंद्र सरकार को नसीहत दी है. कोर्ट ने कहा कि मुआवजा देना केवल समस्या का हल नहीं हो सकता, लोन के प्रभाव को कम करने की जरूरत है। आखिर किसानों के मौत का जिम्मेदार कौन है ? कर्ज वसूलने वाला साहूकार या फिर हमारा सरकारी तंत्र ? क्या सरकार किसानो के कर्ज माफ़ करने के लिए कोई कदम उठा है ? किसानों की आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण क्या है?श्रोताओं आपके अनुसार अगर सरकार कर्ज माफ़ कर देती है तो क्या किसानो का आत्म हत्या का सिलसिला रूक जायेगा ?

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