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भारत में कृषि वास्तविक अर्थों में जीवन रेखा रही है।अधिकतर लोग कृषि पर ही निर्भर है,और खेती करके ही अपना जीवन-यापन करते है।और हमारा राज्य मध्य प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है ?लेकिन खेती को लाभ का धंधा बनाने और किसानों की आय को दोगुना करने की बातें केवल प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के भाषणों तक सिमटी नजर आती रही हैं। जबकि किसानों की वास्तविक स्थिति देखें तो हालात कुछ और ही दिखाई देते हैं। जैसा कि सोयाबीन पहले 4200 रुपए कुंटल बिकती थी जो की अब ₹2500 रुपए कुंटल बिक रही है।इसी तरह मूंगफली पहले ₹6000 रुपए क्विंटल अब ₹3000 रुपए क्विंटल, सरसों पहले 4800 रुपए कुंटल 3500 रुपए कुंटल साथ ही अन्य फसलों के भी दामों में कुछ इसी तरीके की गिरावट आयी है ऐसी स्थिति में किसान जीवन-यापन कैसे करेंगे ? किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने की बात हर मंच पर उठाई जाती है,परन्तु इस दिशा में कभी भी सार्थक प्रयास नहीं किया जाता है ,आखिर क्यों ?किसानो द्वारा अच्छी फसल उपजाने के बावजूद उन्हें उनकी उपज की वाजिब कीमत क्यों नहीं मिल रही है?आपके अनुसार राज्य केकिसानों को अपने फसल का सही मूल्य मिले, इसके लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है ? साथ ही राज्य सरकार इस समस्या को लेकर कितनी गंभीर है ?इन समस्याओं से निपटने के लिए किस तरह के तरीके प्रशासन को अपनाने चाहिए?किसानों के साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध समाज की क्या सकारात्मक भूमिका होनी चाहिए?
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