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छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव से वीरेंदर गन्धर्व ने मोबाइल वाणी के माध्यम से भावनाओं का भंवर कार्यक्रम के अंतर्गत बताया कि एक ओर, यह सदियों से चला आ रहा है कि एक-दूसरे की ओर आकर्षित होना, उसे देखना, उसे छूना, उसका उपयोग करना एक सुखद आनंद माना जाता है। दूसरी ओर, समाज को लगता है कि पुरुष ने ऐसा किया है, तो वह चलेगा लेकिन महिला ऐसा नहीं करेगी। तनाव इसलिए आता है क्योंकि कोई पुरुष से कुछ नहीं कहता है, लेकिन महिला से समाज कहता है कि वह अशुद्ध हो गई है, आदि इसलिए तनाव आता है। इस तनाव से बचने की पहली बात है यानी जब हम एक नए युग में आए हैं, तो सबसे पहले तो आज-कल इस तरह की फिल्में मोबाइल में दिखाई जा रही हैं, टीवी पर फिल्में दिखाई जा रही हैं, जिससे इच्छा रखने वाले युवा तेजी से बढ़ रहे हैं। और समाज को इसके प्रति जागरूक होना होगा और महिलाओं पर दोषारोपण करना बंद करना होगा
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