गौरव रुंगे,छिंदवाड़ा से मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि बचपन इंसान के जिंदगी का सबसे असीम पल होता है,इस वक्त न किसी बात की चिंता और न ही कोई जिम्मेदारी होती है.वह हर समय अपनी मस्ती में खोये रहना,खेलने-कूदने और पढ़ने में रहते है लेकिन सभी का बचपन ऐसा हो यह जरुरी नहीं।गरीबी,लाचारी और माता-पिता की प्रताड़ना के कारण बच्चे बाल मजदूरी के दलदल में फसते जा रहे है।प्रशाशन भी इस श्रमिको के लिए बड़े-बड़े वादे तो करते है पर वो सिर्फ कागजो तक ही सीमित होते है। दोस्तो अगर आप भी इसी तरह की ख़बरें हमारे साथ साझा करना चाहते है, तो मिस्ड कॉल करे नि:शुल्क नंबर 08800438555 पर.