छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंद गाँव से विरेंद्र , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि शहर में आशा की आवश्यकता नहीं है। लोग खुद हॉस्पिटल चले जाते है। बिच में आशा थोड़ी मदद के लिए आ जाती है। लेखक हमेशा कहानी तैयार करता है। सकारात्मक तैयारी तभी होती है जब निश्चित रूप से परिणाम सकारात्मक होंगे और जो स्नेहा है वह फिर से प्रतापपुर के अस्पताल में आएगी और सेवा करेगी क्योंकि लेखक जो कहानी का ताना-बाना बुनता है वह सोच समझ कर बुनता है। यह लेखक का काम है कि वह सकारात्मक रूप से बुने और हमेशा वही करे जो वह वास्तव में नहीं कर सकता है, भले ही दुनिया में अशांति हो, लेकिन कहानी के माध्यम से वह शांति स्थापित करेगा।