महाराष्ट्र राज्य के जिला नागपुर से आदर्श , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि आज के नेता या समाज सुधारक केवल पुरस्कारों की और जाते हैं। अतीत के महापुरुषों की आवाज तेज नहीं होती थी, लेकिन आज क्या है कि नेता चिल्लाकर भाषण देते हैं, उनकी ताकत क्या है, भले ही उनकी आवाज सुनाई दे, लेकिन कोई ताकत नहीं है। लेकिन उनकी आवाज़ में महान लोगों की आवाज़ में इतनी ताकत थी कि वे बिल्कुल नहीं चिल्लाते थे, वे अधिक भावुक थे, वे चुप रहते थे, वे एक इंसान की तरह बोलते थे, लेकिन आपके नेता क्या करते हैं जो उन पर चिल्लाते हैं? वे सिर्फ भाषण देते हैं ताकि लोगों को लगे कि कुछ न कुछ है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है, वे वोट चाहते हैं या वे वोट लेने के लिए ऐसा करते हैं, बाकी लोग कुछ नहीं जानते कि वे इन महान लोगों की बराबरी नहीं कर सकते। वे लोग खुद संगठित नहीं हैं, इसलिए महान व्यक्ति की आवाज, चाहे वह डॉ. अंबेडकर हों, महात्मा फुले हों, राजा राममोहन राय हों, उन्होंने अन्याय के खिलाफ आवाज नहीं उठाई, उन्होंने धर्म के नाम पर पाप करने वालों के खिलाफ आवाज उठाई।