मध्यप्रदेश राज्य के जिला इंदौर से अभिषेक कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि किसी भी लड़की की उम्र से पहले यानी की नाबालिग उम्र में शादी करना बाल विवाह होता है। यह एक रूढ़िवादी प्रथा है जिसे बाल विवाह का नाम दिया गया है, जो की बच्चों के मानव अधिकार को ख़त्म कर देता है। बाल विवाह में बच्चों के बचपन को छीनकर उन्हें ऐसे बंधन में बांध दिया जाता है जिसके बारे में उन्हें बिलकुल भी ज्ञान नहीं रहता है। उन्हें याद तक नहीं रहता है कि उनके साथ क्या हो रहा है। इस प्रथा का शिकार अधिकतर कम उम्र की लड़किया होती है। क्योंकि बाल विवाह में न सिर्फ कम उम्र की लड़की का विवाह कम उम्र के लड़के के साथ कराया जाता है बल्कि अधिक उम्र के लड़के के साथ भी करा दिया जाता है। जिससे उनके पुरे जीवन में शारीरिक और मानसिक रूप से गंभीर दुष्प्रभाव पड़ता है।