सिवानी द्विवेदी बोल रही हु एक गाना सुनाना चाहती हु अपने रूठे पराये रूठे यार रूठे न ख्वाब टूटे वादे टूटे दिल ये टूटे न रूठे तो खुदा भी रूठे साथ छूटे न ओ अल्लाह वरिया मैं तो वरिया है टूटी यारियां मिलादे एरिया उड़ती पतंगों में होली वाले रंगो में झूमेंगे फिरसे दोनों यार वापस तू आजा यार सीने से लगाजा यार मिलना न पाए दोनों यार हो अपने रूठे पराये रूठे यार रूठे न ख्वाब टूटे वादे टूटे दिल ये टूटे न रूठे तो खुदा भी रूठे साथ छूटे न ओ अल्लाह वरिया मैं तो वरिया है ओ टूटी एरिया मिलादे रह भी न पाए यार कह भी न पाए यार कहती जाये दस्ता उम्र भर का इंतजार एक पल भी न करार अपने रूठे पराये रूठे यार रूठे न ख्वाब टूटे वादे टूटे दिल ये टूटे न रूठे तो खुदा भी रूठे साथ छूटे न ओ अल्लाह वरिया