झारखंड राज्य से दिव्या कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से कविता प्रस्तुत कर रही है जिसमें उनका कहना है की चाह नहीं मैं सुरबाला के,गहनों में गूँथा जाऊँ,चाह नहीं प्रेमी-माला में,बिंध प्यारी को ललचाऊँ,चाह नहीं सम्राटों के शव,पर, हे हरि डाला जाऊँ,चाह नहीं देवों के शिर पर,चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ।मुझे तोड़ लेना वनमाली,उस पथ पर देना तुम फेंक,मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,जिस पथ जाएँ वीरअनेक।
