मध्य प्रदेश में मानसून इस वर्ष उतना सक्रिय नहीं रहा,जितनी उम्मीद थी।मॉनसून की बेरुखी से प्रदेश के कई जिले,एक बार फिर प्यासे रह गए और सूखे की चपेट मे हैं।लगभग बीस जिले ऐसे हैं जो सूखे से प्रभावित हैं,जहाँ सामान्य से कम बारिश हुई है।वर्षा के अभाव में किसान बेहाल हैं और खेतों की फसलें सूखने लगी है।साथ ही नदी-तालाब भी सूखने लगे हैं।अगर ऐसा ही हाल रहा तो आने वाले दिनों में ,प्रदेशवासिओं को भयंकर पेय-जल संकट की समस्या का सामना करना पड़ेगा।प्रत्येक वर्ष मध्य-प्रदेश को इस समस्या से क्यों जूझना पड़ता है ?पहले से सरकार इस समस्या से निबटने की योजना क्यों नहीं बनाती ? नागरिकों को पेय जल उपलब्ध कराने में सरकार क्यों विफल है?क्या मानसून के आलावा खेती और जल-संचय का दूसरा विकल्प हो सकता है ?या सभी चीज़ों के लिए हम सरकार की ओर ही देखेंगे ?आपके अनुसार पेयजल की समस्या से निबटने के लिए हमे क्या-क्या करना चाहिए?