श्रोताओं हमारे जीवन में शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व है।शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो हमे औरो से अलग करती है।अभिभावक अपने बच्चो के उज्वल भविष्य के लिए उनका नामांकन निजी स्कूलों में कराते है। लेकिन निजी स्कूलों की मनमानी फ़ीस भरते-भरते अभिभावकों की कमर टूट जाती है। निजी स्कूलों के प्रबंधक हर बढ़ती क्लास के साथ फीस में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी कर देते हैं? कभी किताबों के नाम पर ,कभी ड्रेस या स्कूल इवेंट्स के नाम पर निजी स्कूलों के द्वारा बार-बार पैसो की वसूली की जाती है। दोस्तों निजी स्कूलों की लगातार बढ़ते फीस पर सरकार का कोई नियंत्रण क्यों नहीं है? सरकार इन निजी स्कूलों के बढ़ते कदम को रोकने के लिए क्या कोई कदम उठा रही है ? सरकार द्वारा इन स्कूलों रोक लगाने के लिए कई कमिटी या समिति बनायीं गयी है,. लेकिन क्या कभी इन समितिंयों की सलाह मानी गई है ?या ये केवल मात्र दिखावे के लिए बनायीं गयी है ?श्रोताओं क्या कारण है जो की ये निजी स्कूल वाले बिना डरे अपनी शिक्षा की व्यावसायिक दूकान चला रहे है। आखिर क्यों स्कूल अब शिक्षा केंद्रों की जगह व्यापार का रूप लेते जा रहे हैं।