जनशक्ति अभियान में दर्ज कराएं अपनी हिस्सेदारी और अभी रिकॉर्ड करें अपनी बात...

बुधिया चाचा बिहार इन दिनों अपने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बारे में लोगों को जागरुक कर रहे हैं. अगर आप भी जानना चाहते हैं बिहार की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में तो अभी क्लिक करें...

बुधिया चाचा जहां एक ओर बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियां तलाशने में जुटे हैं वहीं दूसरी ओर साधना अपनी सहेली और आंगनबाडी सहायिका जानकी से मिलने पहुंची है. तो चलिए सुनते हैं कि साधना और जानकी किस बारे में चर्चा कर रही हैं?

हमारे बुधिया चाचा इन दिनों बिहार की खराब हो रही स्वास्थ्य सेवाओं का जायजा ले रहे हैं. उन्हें अपनी खोज में कई चौंकाने वाली बातें जानने का मौका मिला. उन्हें पता चला कि आखिर क्यों बिहार में कुपोषण के हालात इतने गंभीर बने हुए हैं... तो आप भी सुनिए कि आखिर बुधिया चाचा को क्या पता चला है?

दोस्तों, बिहार में कुपोषण के गंभीर हालातों के कारण हमारे बुधिया चाचा और साधना काफी परेशान हैं. वे इस मामले में बात करने के लिए गांव के सरपंच से मिलने पहुंचे हैं तो क्या आप जानना नहीं चाहेंगे कि आखिर सरपंच से उनकी क्या बात हुई!

बुधिया चाचा इस बात से परेशान हैं कि बिहार में बच्चों में कुपोषण की स्थिति बहुत गंभीर है. वे चाहते हैं कि बच्चे सेहतमंद हों और समाज पोषित हो. तो चलिए सुनते हैं बुधिया चाचा क्या कहते हैं कुपोषण के बारे में... यह मोबाइलवाणी का खास जनशक्ति अभियान हैं.. जिसे आप सुने और अपने साथियों को भी सुनाएं. साथ ही कार्यक्रम को लाइक करके अपना वोट दें ताकि हम और आप मिलकर समाज—प्रशासन को जगाने का काम कर सकें.

हंसता खेलता बचपन.. जो कभी आंगन तो कभी घर की मुंडेर पर झूलता था... कभी मां के पल्लू से लिपटता तो कभी पिता की उंगली पकड़कर खेत की मेड़ों पर दौड़ता था... आज वो गहरी नींद में है... मौत की नींद में. उसके जाने के बाद से आगंन, घर की मुंडेर, खेत की मेड़ सब सूने हैं.. कोई नहीं जो मां के आंचल से झूले, पिता की उंगली थामे.. कुछ है तो बस बेबसी.. और आंखों की पोरों से बहते आंसू.. दोस्तों यह दर्द है बिहार के उन परिवारों का जिन्होंने हाल ही में चमकी बुखार या दिमागी बुखार कहे जाने वाले एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के कारण अपने मासूमों को हमेशा के लिए खो दिया. इन परिवारों का दर्द शायद ही कोई समझ सके और इन्होंने जो खोया है उसकी पूर्ति भी शायद अब कोई नहीं कर सकता.. यदि हम कर सकते हैं तो बस इतना कि अब किसी और परिवार पर यह विपत्ति ना आए. इसी ध्येय को साथ लेकर मोबाइलवाणी शुरू कर रहा है जनशक्ति अभियान. तो आप भी इस मुहिम को हिस्सा बनें और अपनी बात रिकॉर्ड करें फोन में नम्बर 3 दबाकर

हंसता खेलता बचपन.. जो कभी आंगन तो कभी घर की मुंडेर पर झूलता था... कभी मां के पल्लू से लिपटता तो कभी पिता की उंगली पकड़कर खेत की मेड़ों पर दौड़ता था... आज वो गहरी नींद में है... मौत की नींद में. उसके जाने के बाद से आगंन, घर की मुंडेर, खेत की मेड़ सब सूने हैं.. कोई नहीं जो मां के आंचल से झूले, पिता की उंगली थामे.. कुछ है तो बस बेबसी.. और आंखों की पोरों से बहते आंसू.. दोस्तों यह दर्द है बिहार के उन परिवारों का जिन्होंने हाल ही में चमकी बुखार या दिमागी बुखार कहे जाने वाले एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के कारण अपने मासूमों को हमेशा के लिए खो दिया. इन परिवारों का दर्द शायद ही कोई समझ सके और इन्होंने जो खोया है उसकी पूर्ति भी शायद अब कोई नहीं कर सकता.. यदि हम कर सकते हैं तो बस इतना कि अब किसी और परिवार पर यह विपत्ति ना आए. इसी ध्येय को साथ लेकर मोबाइलवाणी शुरू कर रहा है जनशक्ति अभियान. तो आप भी इस मुहिम को हिस्सा बनें और अपनी बात रिकॉर्ड करें फोन में नम्बर 3 दबाकर