हमें ऐसा लगता है कि गरीब व्यक्ति स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं ले पा रहा है इसलिए वह कमजोर है. लेकिन हाल ही में आई एक नई रिपोर्ट बताती है कि कमजोर स्वास्थ्य की चपेट में तो व्हाइट-कॉलर नौकरी करने वाले भी शामिल हैं. ब्लू-कॉलर व्यवसायों में काम करने वाले लोगों की तुलना में, दिन में बेहद कम गतिविधियों के साथ व्हाइट-कॉलर नौकरियां करने वाले भारतीयों का औसत बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) ज्यादा होता है, जो मोटापे का एक संकेतक है. ‘इकोनॉमिक्स एंड ह्यूमन बायोलॉजी जर्नल’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार कृषि श्रमिकों, मछुआरों और घरबारी की तुलना में इंजीनियरों, तकनीशियनों, गणितज्ञों, वैज्ञानिकों और शिक्षकों का बीएमआई ज्यादा होता है. सभी देशों में, वर्तमान में भारत में अधिक वजन वाले या मोटे व्यक्तियों की तीसरी सबसे ज्यादा संख्या है. यहां 20 फीसदी वयस्कों और 11 फीसदी किशोरों को मोटे के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसा कि सितंबर 2014 के अध्ययन में सामने आया है. भारत में बीएमआई में वृद्धि संभवतया एक ‘संरचनात्मक परिवर्तन’ से प्रेरित है, जिसके कारण ब्लू-कॉलर क्षेत्र में रोजगार में गिरावट आई है. क्या आपको भी लगता है कि भारतीयों का स्वास्थ्य उनकी अनियमित दिनचर्या और खान पान के गिरते स्तर के कारण खराब हो रहा है? मोटापा कम करने के लिए आप कैसी दिनचर्या अपनाते हैं? अपने सुझाव हमारे श्रोताओं के साथ साझा करें.