इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीज की एक रिपोर्ट मुताबिक 2016 में भारत में टीबी से ग्रस्त करीब 1.2 लाख बच्चों के मामले सामने आये. 14 साल की उम्र तक के इन बच्चों में टीबी यानी तपेदिक के मामले में भारत दुनिया के देशों में पहले स्थान पर है. चीन दूसरे पायदान पर है. चीन में बच्चों में टीबी के नए मामले भी हमारे देश की तुलना में आधे से कम हैं. ‘द साइलेंट एपिडेमिक-अ कॉल टू एक्शन अगेंस्ट चाइल्ड टीबी’ नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर के बच्चों में हर साल टीबी के करीब 10 लाख नए मामले सामने आते हैं. इनमें से हर चार बच्चों में एक की मौत हो जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक सूची के मुताबिक आठ देशों में दुनिया भर के दो तिहाई तपेदिक के मरीज हैं. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, जबकि भारत ने अपने लिए इस लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई है. इस बीमारी के उन्मूलन से जुड़े टीबी मुक्त भारत अभियान के लिए पहले तीन वर्षो में 12 हजार करोड़ रु पये का प्रावधान किया गया है, लेकिन अब तक की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है. क्या आप टीबी की बीमारी के बारे में जानते हैं? क्या आपके क्षेत्र में शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों ने टीबी के प्रति जागरूक करने के लिए कोई कार्यक्रम चलाया है? क्या आप टीबी की बीमारी की रोकथाम के लिए शुरू हुई शासकीय योजनाओं के बारे में जानते हैं? हमारे साथ साझा करें अपने अनुभव.