बीते 10 सालों के भीतर इन्टग्रेटिड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विस-आईसीडीएस कार्यक्रम के तहत पूरक पोषण आहार प्राप्त करने वाली महिलाओं और बच्चों की संख्या में चार गुना वृद्धि हुई है. लेकिन चिंता की बात यह है कि इस सुविधा का लाभ समाज की सबसे गरीब महिलाओं तक नहीं पहुंचा है. “इंडिया इंटेग्रेटेड चाइल्ड डेवल्पमेंट सर्विसेज प्रोग्राम: इक्विटि एंड एक्सटेंट ऑफ कवरेज इम 2006 एंड 2016” नाम से हुए अध्ययन में सामने आया है कि जो महिलाएं अशिक्षित थीं या सबसे गरीब घरों से थीं, उनकी प्रमुख पोषण कार्यक्रम तक पहुंच कम थी. 2006 में सबसे गरीब घरों में आईसीडीएस सेवाओं का सबसे अधिक उपयोग किया गया था, उनका हिस्सा 2016 में दूसरा सबसे कम बन गया, जो यह संकेत देता है कि इसके पीछे के कारणों में खराब डिलीवरी, दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचने की कठिनाई और जाति जैसे सामाजिक विभाजन शामिल हो सकते हैं. वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंटरनेश्नल फूड पॉलिसी रिसर्च के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि सबसे गरीब और सबसे अमीर दोनों समूहों की तुलना में निम्न से मध्य सामाजिक-आर्थिक ब्रैकेट में भोजन की खुराक, पोषण परामर्श, स्वास्थ्य जांच और बाल-विशिष्ट सेवाएं प्राप्त करने की अधिक संभावना थी. प्राइमरी और सेकेन्ड्री स्कूली शिक्षा प्राप्त महिलाओं की तुलना में बिना स्कूली शिक्षा वाली महिलाओं की आईसीडीएस सेवाएं प्राप्त करने की संभावना कम थी. आपके क्षेत्र में गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति कितना जागरूक हैं? क्या उन तक शासकीय स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ पहुंच पा रहा है? हमारे साथ साझा करें अपनी बात.