पश्चिम बंगाल के चाय बागान वाले क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्य मुद्दा ‘चाय के बंद पड़े बगान’ और ‘श्रमिकों का न्यूनतम वेतन तय नहीं होना’ है. उत्तर बंगाल में चाय बगान वाले क्षेत्र दार्जिलिंग, तराई और दोआर्स हैं. यहां के करीब 300 बागानों में ऐसे तीन लाख श्रमिक काम करते हैं जो समय-समय पर बेरोजगार हो जाते हैं. तराई और दोआर्स के क्षेत्र में पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, दार्जिलिंग और कूचबिहार जिले और असम का कुछ हिस्सा शामिल है. गौरतलब है कि कूचबिहार और अलीपुरद्वार में 11 अप्रैल को मतदान होगा जबकि जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग और राजगंज में 18 अप्रैल को चुनाव होंगे. विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से जुड़ी ट्रेड यूनियनों का कहना है कि वे लोग चाय बागानों में न्यूनतम वेतन लागू करने की मांग लंबे समय से करते आए हैं लेकिन यह मुद्दा सुलझा नहीं है. आपके क्षेत्र में इस बार लोकसभा चुनाव का प्रमुख मसला क्या है? क्या आपके क्षेत्र में भी श्रमिकों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है? यदि हां तो मोबाइल वाणी के जरिए सबके सामने रखें अपनी राय.
