एशियाई कंपनियां ज्यादा प्रदूषण वाले शहरों में रहने वाले अपने कर्मियों को लुभाने के लिए उन्हें तरह-तरह के लाभ देने के वादे कर रही हैं. ऐसे शहरों में काम करने के लिए कंपनियों को प्रतिभाशाली कर्मचारियों की कमी से जूझना पड़ रहा है. ऐसे में वह लोग जो पहले एशिया में बढ़ते आर्थिक अवसरों की ओर आकर्षित हुए थे, अब उन्हें स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं इन इलाकों में काम नहीं करने को मजबूर कर रही हैं. लिहाजा कंपनियों को भर्ती करने और अपने विशेषज्ञ कर्मचारियों को बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र (यूएन) पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में करीब 92 प्रतिशत लोग वायु प्रदूषण के स्तर से अवगत हैं और वह इसे स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा मानते हैं. यही वजह है कि मोटी तनख्वाह देने वाली कंपनियों को अपने कर्मचारियों को अतिरिक्त प्रोत्साहन देना पड़ रहा है. क्या आप भी महसूस करते हैं कि प्रदूषण की वजह से लोग महानगरों में काम करने से बचने लगे हैं? क्या आपको नहीं लगता कि प्रदूषण कम करने की दिशा में हमें भी मिलकर प्रयास करना चाहिए? इस विषय पर हमारे साथ साझा करें अपनी राय.
