एक तरफ़ तो हम रोते हैं कि अगले दो-ढाई दशक के बाद हम पानी की बूंद-बूंद को तरसेंगे.मगर आज नदी-नालों-झीलों-बारिश की शक्ल में जो मीठा पानी उपलब्ध है उसे हम साफ़ करके महफ़ूज़ और जमा करने की बजाय उसमें दुनियाभर का गंद घोल रहे हैं और चीख़ भी रहे हैं कि हाय! हाय! हमारा पानी किसने ज़हरीला कर दिया.सब कहते हैं सिंधु नदी पाकिस्तान की जीवनरे खा है. सिंधु में तिब्बत से लेकर नीचे तक कम से कम आठ छोटे-बड़े दरिया और सैकड़ों नाले गिरते हैं.सबको मालूम है कि सिंधु दरिया ना हो तो पाकिस्तान रेगिस्तान हो जाए.जहां तक धरती और दरिया से अच्छे व्यवहार की बात है तो इसमें भारत हो या पाकिस्तान दोनों तरफ़ एक जैसी हरकतें हो रही हैं.भारतीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड कहता है कि गंगा और नर्मदा समेत देश के 445 में से 275 दरिया इतने प्रदूषित हो चुके हैं कि उनका पानी इंसानों के पीने के लायक़ नहीं. और कावेरी नदी के पानी से तो कई इलाक़ों में खेतों की सिंचाई भी ख़तरनाक हो चली है