टीबी जैसी गंभीर बीमारी से देश को मुक्त कराने के लिए मोदी सरकार ने 2025 तक का लक्ष्य रखा है, लेकिन ऐसा हो पाना मुश्किल ही लग रहा। बात करें पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस की तो यहां टीबी के मरीजों की संख्या घटने के बजाए लगातार बढ़ती ही जा रही है। बनारस में 2017 की तुलना में 2018 में टीबी के 2,730 ज्यादा मरीज पाए गए। 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के मौके पर देश भर में टीबी के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। स्वास्थ्य विभाग की ओर से निक्षय पोषण मिशन योजना के तहत टीबी के मरीजों को पोषाहार का सेवन करने के लिए आर्थिक मदद 500 रुपये सीधे उनके खातों में भेजे जा रहे हैं। बनारस जिले में 2017 में टीबी के 101 मरीजों को 500 रुपये दिये गए। वहीं 2018 में 4,536 और 2019 में टीबी के अब तक 280 मरीजों को 500 रुपये दिए जा चुके हैं। अकेले बनारस में 2017 की तुलना में 2018 में टीबी के 2,730 ज्यादा मरीज पाए गए. चौंकाने वाले इन आंकड़ों से हम कह सकते हैं कि सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य पूरा होता नहीं दिख रहा है। तो श्रोताओं, आप हमें बताएं कि टीबी की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयास बुनियादी तौर पर कितने कारगार साबित हो रहे हैं? इस गंभीर बिमारी के खात्में के लिए और क्या कुछ किया जाना चाहिए? अपने संदेश रिकॉर्ड करवाएं।