उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले में विक्रमजोत ब्लॉक में ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी सरकार की संचालित जनकल्याणकारी योजना मनरेगा में खेल कर रहे हैं। इसी के माध्यम से वे गरीब मजदूरों के हिस्से का धन की बंदरबांट में जुटे हैं। इसका उदाहरण ग्राम पंचायत खेमराजपुर के राजस्व गांव बेतावा में सामने आया है। यहां मनरेगा का कार्य श्रमिकों के बजाय मशीन से हो रहा है। जिम्मेदार मजदूरी का धन अपने चहेतों के खाते में भेज उसे निकलवा लेते हैं। ब्लॉक में 10 ग्राम पंचायतों के लगभग 50 गांव सरयू नदी के उस पार हैं। यहां मनरेगा कार्य के माध्यम मे कार्य दिखा कर सरकारी रकम की बंदरबांट का सिलसिला तेज हो गया है। क्योंकि वहां बाढ़ आने के बाद भौगोलिक परिस्थितियां बदल जाती हैं। इसका फायदा वे उठा कर कार्य को नदी की कटान में दिखा देते हैं। जांच-पड़ताल का भी कोई भय नहीं है क्योंकि इन क्षेत्रों में अधिकारियों की आवाजाही भी नहीं होती। स्थानीय ग्रामीणों ने जब इसका विरोध किया तो प्रधान और उनके समर्थक जेसीबी मशीन लेकर भाग खड़े हुए। बीडीओ ने बताया कि मनरेगा के तहत किसी भी प्रकार का कार्य मशीनों से कराया जाना अनुचित और गैरकानूनी है। अगर माझा क्षेत्र में मिट्टी पटाई का कार्य जेसीबी मशीनों से हुआ है तो संबंधित की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। श्रोताओ, अगर आपके क्षेत्र में भी मनरेगा के तहत मशीनों से काम करवाया गया है या करवाया जा रहा है और नियमों का उल्लंघन हो रहा है तो आप अपना संदेश रिकॉर्ड करवाएं।