लोकतंत्र का महापर्व है, गांव की चौपाल पर बातें होने लगी हैं तो किसानों के मुद्दों पर भी चर्चा हो रही। अतीत से वर्तमान तक का आकलन, नीतियों पर बातें। इसी बीच जहां कई किसान बदलाव की कहानी भी सुना भी सुना रहे हैं तो वहीं अपनी अपेक्षा की भी बात करते हैं। देश भर का मीडिया इन दिनों गांव-गांव जाकर चौपाल लगाकर किसानों के मुद्दों पर चर्चा करता दिख रहा है। इन्हीं किसानों में वो भी हौ जो मानते हैं कि खेती में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं, कुछ सफल हो रहे हैं, लेकिन बड़ बदलाव की ज़रूरत है। बिहार के गया ज़िले के किसानों के मुताबिक सरकार किसानों के लिए अनेको योजनाएं बना रही है, लेकिन किसानों का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जिन्हें इन योजनाओं के बारे में या तो पता नहीं या फिर लाभ लेने की औपचारिकताओं में उलझ कर ही रह जाते हैं।जिन्हें पता है, वे जरूर लाभ उठा रहे। किसानों को बुनियादी सुविधा मुहैया करा दी जाए तो उसके लिए किसी अनुदान वगैरह की कोई आवश्यकता नहीं है। श्रोताओ, आपके मुताबिक बुनियादी सुविधाएं मुहैया करवाने से किसानों की मुश्किलों का स्थायी हल निकाला जा सकता है।