ग्वालियर में बीएससी प्रथम वर्ष माइक्रोबायोलॉजी की परीक्षा देने आए विद्यार्थी प्रश्न पत्र देख परेशानी में पड़ गए। क्योंकि हमेशा की तरह इस बार भी हिंदी-अंग्रेजी में न होकर सिर्फ अंग्रेजी भाषा में आया था। जीवााजी विश्वविद्यालय के परीक्षा भवन पर भी इस विषय को चुनने वाले 102 विद्यार्थियों ने इस बात को लेकर आपत्ति जताई। मामले में संज्ञान लेते हुए युनिवर्सिटी प्रशासन ने तुरंत ही पूरे प्रश्न पत्र का हिंदी में ट्रांसलेशन कर छात्रों को बता दिया। बाद में इसी ट्रांसलेशन को अन्य सेंटरों पर भी भेज दिया गया, जिससे वहां के विद्यार्थियों को कोई परेशानी न हो। हालांकि इस कवायद में विद्यार्थियों के बेकार गए 25 मिनट के एवज में उन्हें अतरिक्त समय नहीं मिला। अक्सर परीक्षा को दौरान स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही के ऐसे मामले सामने आते हैं। ऐसे मामलों में छात्रों का जो समय बेकार होता है क्या उसके एवज़ में उन्हें अतिरिक्त समय नहीं दिया जाना चाहिए? अपने विचार हमारे साथ साझा करें।