यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) के नए दिशा-निर्देश के मुताबिक देशभर के महिला अध्ययन केंद्रों को दी जाने वाली धनराशि में भारी कटौती की गई है। जानकारों के मुताबिक यूजीसी के नए दिशा-निर्देश से भारत में विमेंस स्टडीज विषय ही खतरे में आ गया है। बता दें कि महिला अध्ययन की शुरुआत 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत की गई थी। देशभर में तकरीबन 200 महिला अध्ययन केंद्र चल रहे हैं जो विमेंस स्टडीज को एक अलग और स्वतंत्र विषय के रूप में पहचान दे रहे हैं। विमेंस स्टडीज विश्व भर में एक स्वतंत्र विषय के रूप में मजबूती से स्थापित हो चुका है, जिसकी नींव 60 और 70 के दशकों में ही पड़नी शुरू हो गई थी। हालांकि भारत में इसका आगमन थोड़ा बाद में हुआ, लेकिन समय के साथ-साथ महिला अध्यन में रुचि दिखाने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। समाज को एक बेहतर दिशा देने के लिए ऐसे केंद्रों में निवेश बढ़ाने की जरूरत है न कि कटौती करने की। इसके साथ ही महिला अध्यन के विषय पर पूर्णकालिक डिग्री कोर्स शुरू करके इसे रोज़गार संबंधित शिक्षा के रूप में विकसित करने की ज़रूरत है। क्या आपको लगता है कि बदलते समाज की बारीकियों को समझने के लिए नए-नए विषय पढ़ाए जाएं और शिक्षा के नए केंद्र स्थापित किए जाएं तो बेहतर समाज के निर्माण के साथ साथ रोज़गार के भी नए मौके पैदा हो सकेंगे? महिला अध्ययन केंद्रों के विषय पर अपने विचार साझा करें।