राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सामने पिछले कई सालों से उत्तरपुस्तिकाओं का सही मूल्यांकन बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। परीक्षकों द्वारा उत्तरपुस्तिकाएं जांचने में बरती जा रही लापरवाही का खामियाजा लाखों विद्यार्थियों को भुगतना पड़ता है। इस लिए अब शिक्षा विभाग गलती करने वाले परीक्षकों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा। परीक्षकों के लिए प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किया जाएगा। बतादें कि हर साल संवीक्षा यानि कि बारीकी से जांचने के बाद हजारों विद्यार्थियों के इमतेहान के नतीजे बदलना इस बात का सबूत है कि परीक्षक उत्तरपुस्तिकाएं जांचने का काम गंभीरता से नहीं करते। बोर्ड की बारहवीं और दसवीं की परीक्षा में प्रतिवर्ष 19 से 20 लाख विद्यार्थी बैठते हैं। उत्तरपुस्तिकाओं की संवीक्षा के लिए प्रतिवर्ष लगभग डेढ़ लाख विद्यार्थी आवेदन करते हैं। संवीक्षा की व्यवस्था के तहत उत्तरपुस्तिकाओं को नए सिरे से तो जांचा नहीं जाता अलबत्ता अंकों की री-टोटलिंग की जाती है। हर साल अंकों की री-टोटलिंग में ही लगभग 20 से 25 हजार विद्यार्थियों के अंकों में बढ़ोतरी हो जाती है। अगर उत्तरपुस्तिकाओं को नए सिरे से जांचा जाए तो परिणाम क्या होगा इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। विद्यार्थियों की सालभर की मेहनत का सही मूल्यांकन न हो पाने से उनके भविष्य पर बुरा असर पड़ता है। आपके मुताबिक अगर देश भर में सभी राज्यों के शिक्षा विभाग उत्तर पुस्तिकाओं के मुल्यांकन को लेकर सख्ती बरतें तो परीक्षाओं के परिणाम में सुधार आ पाएगा? हमारे साथ साझा करें अपने विचार.