2014 लोकसभा चुनाव के दौरान वादा किया था कि अगर केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी तो हर साल 2 करोड़ लोगों को रोजगार दिया जाएगा. अब जबकि कार्यकाल अब खत्म होने को है, ऐसे में लोग रोजगार को लेकर सवाल पूछ रहे हैं. इन सवालों के जवाब देने में सरकार भले ही चुप हो, लेकिन सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट सब कुछ साफ—साफ बयां कर रही है. इस रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2019 में बेरोजगारी दर 7.2 फीसदी तक पहुंच गई है. हैरानी वाली बात यह है कि यह सितंबर 2016 के बाद की उच्चतम दर है. इसके पहले फरवरी 2018 में बेरोजगारी दर 5.9 प्रतिशत रही थी. फरवरी 2019 में देश के 4 करोड़ लोगों के पास रोजगार होने का अनुमान है, जबकि साल भार पहले यही आंकड़ा 4.06 करोड़ था. गौरतलब है कि सीएमआईई के आंकड़े देश भर के लाखों घरों के सर्वेक्षण पर आधारित हैं. कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इन आंकड़ों को सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले बेरोजगारी के आंकड़ों की तुलना में अधिक विश्वसनीय माना जाता है. 2017 के शुरुआती 4 महीनों में 15 लाख नौकरियां खत्म हो गई है. यानी नोटबंदी की सीधी मार लाखों लोगों के रोजगार पर पड़ी थी. सरकार अपनी नाकामी छिपाने की लाख कोशिशें कर ले, लेकिन इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब विवाद होना तय माना जा रहा है. क्या आप भी बेरोजगारी की समस्या से परेशान है? अपनी नजर में वे कौन से कारण है जो रोजगार की राह में परेशानी बन रहे हैं? आपको रोजगार के सरकारी दावों पर कितना यकीन है? यदि नहीं है तो आपकी नजर में कमी कहां रह गई है? हमारे साथ साझा करें अपने विचार.