भारत में रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं, यह तो जाहिर हो गया है. पर एक और दावा किया जा रहा है, वह यह कि भारतीय युवाओं की उभरते और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के प्रति सक्रीयता सबसे कम है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के वरिष्ठ अर्थशास्त्री जॉन ब्लूडोर्न ने दावा किया है कि युवाओं में काम के अवसर उभरते और विकाशील अर्थव्यवस्थाओं में भारत में सबसे कम है और यह करीब 30 प्रतिशत है. अब हम बात करें चुनौतियों की तो इसमें सबसे अहम है श्रम बाजारों में स्त्री-पुरूष अंतर, प्रौद्योगिकी चुनौती और रोजगार में कामकाज की खराब गुणवत्ता. क्या आप इस दावे से सहमत है? क्या वाकई भारतीय श्रम बाजारों में युवाओं की रूचि कम हो रही है? यदि नहीं तो फिर क्या कारण है कि युवाओं के हाथ में रोजगार नहीं है? हमारे साथ साझा करें अपने विचार.