सदियों से मान्यताओं की बंदिश में बंधी हमारे देश की महिलाएं भगवान की पूजा तो करती हैं, लेकिन पूजा करवाने का ​अधिकार अभी भी उनके हिस्से नहीं आया है. हम जब भी देखते हैं पंडित के आसन पर बैठा कोई पुरुष ही नजर आता है. पर आज सुनिए उस मां की कहानी जिसने सदियों से चली आ रही इस धार्मिक मान्यता को तिलांजलि देते हुए मिसाल कायम की है.