देश की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रही सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स के जवानों का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा है. जो चिंता का विषय है. करीब 10 फीसदी जवान लो मेडिकल कैटिगरी में रखे गए हैं. इसका मतलब है कि ऐसे जवान हाई रिस्क एरिया और चैलेजिंग ऑपरेशंस के लिए अनफिट हैं. कश्मीर, जहां सीआरपीएफ सबसे ज्यादा चुनौतियों का सामना कर रही है वहां भी लो मेडिकल कैटिगरी में जवानों की संख्या ज्यादा है. श्रीनगर में ही तैनात सीआरपीएफ की 26 बटालियन को देखें तो लो मेडिकल कैटिगरी (एलएमसी) में 1883 जवान हैं. जबकि यहां की तैनाती चैलेजिंग हैं और हर वक्त मुस्तैद रहना होता है. इस बात का खुलासा हाल ही में जवानों पर किए गए सामूहिक मेडिकल सर्वे में हुआ है. गौरतलब है कि सीआरपीएफ की देश भर में 247 बटालियन हैं. इन सब बटालियन में करीब 22 हजार जवान लो मेडिकल कैटिगरी में हैं जो कि कुल फोर्स का करीब 10 फीसदी हैं. एक वक्त में करीब 1200 जवान छुट्टी पर रहते हैं, कुछ टेंपरेरी ड्यूटी पर तो कुछ कोर्स कर रहे होते हैं. ऐसे में इन्हें और लो मेडिकल कैटिगरी के जवानों को छोड़ दें, तो जितने उपलब्ध जवान हैं उनसे सभी टास्क पूरे कराने होते हैं, जो कि चुनौती भरा काम है. हालांकि यह भी साफ हो गया है कि ज्यादातर जवान वर्क कंडिशन और काम से जुड़े स्ट्रेस की वजह से ही लो मेडिकल कैटिगरी में आए हैं. यहां इस बात पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है कि जवानों को पर्याप्त आहार मिल रहा है या नहीं? चूंकि सेना में कई बार जवानों ने यह शिकायत की है कि उन्हें उचित मात्रा में भोजन नहीं दिया जाता है. क्या आपको भी ऐसा लगता है कि सरकार जवानों के स्वास्थ्य और आहार पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही है? जवानों पर आ रहे काम के तनाव और जिम्मेदारियों के बारे में देश का आम आदमी होने के नाते आप क्या सोचते हैं? हमारे साथ साझा करें अपने विचार.