बिहार राज्य के जिला नालंदा से शम्भू प्रसाद , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि बचपन मनाओ बढ़ते जाओ कार्यक्रम सुनकर अच्छा लगा। अगर बच्चों के साथ खेला जाए है, तो बुजुर्गों को भी अच्छा लगता है क्योंकि उनके पास भी कोई काम नहीं रहता है। बुजुर्गों को बच्चों के साथ घुल मिल जाना चाहिए। बच्चों के भाव से पता चलता की उसको क्या कष्ट है।
खुद का खेल बनाना बच्चों को सीखने में मदद करता है, इससे उनका दिमाग तेज़ होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है | खेल में माता पिता का साथ बच्चों और उनके बीच के रिश्ते को और गहरा करता है | क्या आप अपने बच्चों के साथ उनके द्वारा बनाया गया कोई खेल खेलते है ?
खुद का खेल बनाना बच्चों को सीखने में मदद करता है, इससे उनका दिमाग तेज़ होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है | खेल में माता पिता का साथ बच्चों और उनके बीच के रिश्ते को और गहरा करता है | क्या आप अपने बच्चों के साथ उनके द्वारा बनाया गया कोई खेल खेलते है ?
दोस्तों बच्चों के लिए काम करने वाली अंतराष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ ने हर साल 11 जून को बच्चों के खेल का ख़ास दिन घोषित किया है। यानि ऐसा दिन जो सभी को याद दिलाये कि बच्चों के साथ बच्चे बन जाना कितना प्यारा है। बच्चों को जन्म से ही खेल खेल में सिखाना कितना प्यारा है। सिखाना भी बड़ों के तरीके से नहीं ,ऐसा खेल जिसमें बड़ों की नहीं हमारे नन्हें मुन्हें ,प्यारे -प्यारे बच्चों की मर्ज़ी चले। क्योकि इससे बच्चे तेज़ी से खुद सीखते हैं। आने वाले 11 जून यानि की इस मंगलवार को भी एक घंटे का समय निकालिये और अपने और अपने आस पास के बच्चों के साथ बच्चा बन जाइये।और हाँ आपने और बच्चों ने क्या खेला और उसमे बच्चों को कितना मज़ा आया ये मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड कर के जरूर बताइये।