बिहार राज्य के नालंदा जिला से संतोष कुमार ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि मौली देवी का जीवन किसी हिदी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। संतोष कुमार ने बताया कि जीवन के कई दशक देख चुकी वृद्धा मौली देवी पहले तो समाज से लड़ी, लेकिन अब उम्र के इस आखिरी पड़ाव पर उन्हें सरकारी तंत्र से भी लड़ना पड़ रहा था। अकेली रहने वाली मौली देवी के पास सरकारी सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं था। विधवा पेंशन, आयुष्मान योजना व राशनकार्ड जैसे कोई भी सरकारी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिलता था।पहले उनको राशनकार्ड से जीवनयापन के लिए अनाज मिल जाता था, लेकिन बदकिस्मती कि पहले राशन कार्ड सूची से नाम कट गया और कार्ड निरस्त कर दिया गया। हरणौत प्रखंड के कोयलमा गॉव में रहने वाली 69 वर्षीय मौली देवी क बहु के साथ दो वक्त की रोटी के लिए वह कभी मजदूरी करती तो कभी किसी दुकानदार के यहां साफ-सफाई का काम कर लेती थीं। किसी तरह जीवन संघर्ष के बीच चल रहा था कि वर्ष 2008 में उनके पति की मौत हो गई। इसके बाद से उनके ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। उम्र हो जाने से शरीर में इतनी जान भी नहीं बची कि मेहनत मजदूरी कर लेती।उनके पास सिर्फ आधार कार्ड ही था और कोई दूसरा प्रमाणपत्र नही थी। सरकारी योजनाओं का लाभ हासिल करने के लिए मौली देवी ने विभागों के चक्कर लगाए कि विधवा पेंशन योजना, आयुष्मान योजना का लाभ मिल जाए तो कुछ सहारा मिले साथ ही बीमारी का भी इलाज करा सकें। लेकिन हर विभाग से खाली हाथ लौटना पड़ा उसके बाद उनकी परेशानी को मेरी आवाज मेरी पहचान प्रसारित किया गया। मेरी आवाज मेरी पहचान मोबाइल वाणी वॉलिंटियार विद्या कुमारी ने बैंक एकाउंट खुलने के लिए काफी मस्कत किये।फिर उनकी गवाही के लिए और दीदी से सहयोग किया।काफी मस्सकत के बाद उनका वृद्धा पेंशन खुल गया और उन्हें वृद्धा पेंशन का 1200 रुपया मिल गया। इससे मौली देवी काफी खुश हैं और मेरी आवाज मेरी पहचान को धन्यवाद दे रही हैं।