जखनिया। क्षेत्र के परसपुर गांव स्थित शिव मंदिर पर पंडित व्यास रमाशंकर पांडे ने गुरुवार को अनंत चतुर्दशी के अवसर पर अपार जनसमूह को बताया कि स्कंद पुराण के अनुसार पितरों का अपने अपने कुल परिवार में सदैव ध्यान रहता है। ऐसे में हिंदू धर्म के मान्यता के अनुसार प्रत्येक पितृपक्ष में अपने अपने कूल परिवार में अवश्य आते हैं। उन्हें चावल तथा काली तिल का तर्पण दक्षिण मुख करके अवश्य करना चाहिए। तथा रात्रि में भोजन पकवान व्यंजन बनाकर उनके नाम से ग्रास निकालकर साफ जगह में उनके नाम से समर्पित करना चाहिए ।क्योंकि उनके ग्रहण करने के कई रूप होते हैं। जो शास्त्रों में लिखा गया है कि वह विभिन्न पक्षियों तथा गौ के रूप में भी ग्रहण करने के लिए अपने कूल व वंशज के प्रसन्न मुद्रा में आशीर्वाद देने के लिए भी पढ़ारते हैं। इन्होने काली तिल्ली का महत्व को समझाते हुए बताया कि इस तरह की क्रिया से काली तिल का एक दाना एक भर सोने का बोध कराता है। यह भी बताया कि पितरों का स्थान देवताओं से बड़ा है यही कारण है कि प्रत्येक मांगलिक कार्य में व्यास जी ने सर्वप्रथम गौरी गणेश के बाद पितरों का आवाहन किया जाता है। अन्यथा उनके अभाव में कार्य व्यधान दरिद्रता में आकर पूर्ण नहीं होते ।उन्होंने बताया कि यह त्यौहार आस्था और विश्वास का है जो सर्वदा मंगल दायक होता है ।जिस परिवार में इस तरह के समान कार्य नही होते हैं। वह अत्यंत कष्ट से गुजर करते हैं। पित्र भी कुपित व शापित कर चले जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पूरे 15 दिन उनका समय काल रहता है। जो अश्वनी 15 को तरह-तरह के पकवान के साथ उनकी विदाई पिंडदान करके उनके जाने अनजाने में क्षमा याचना करते हुए उनकी विदाई की जाती है। जिससे कूल परिवार को सुख समृद्धि के लिए पूरे वर्ष आशीर्वचन करते रहते हैं।