दोस्तों, ऐसा क्यों है कि आज भी कई जगहों पर बेटियों को एक बोझ की तरह या फिर बस एक ज़िम्मेदारी के तौर पर देखा जाता है। जबकि बेटे और बेटी में कोई भी फर्क नहीं होता | हमारे आज के कार्यक्रम में इस विषय पर आखिर क्या बात हो रही है, सुनने के लिए क्लिक करें।