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बिहार राज्य के जमुई जिला सिकंदरा प्रखंड से अमित कुमार मोबाइल वाणी के द्वारा बताते हैं की सभी विधालयो में चला खसरा रूबेला का टीकाकरण अभियान 9 माह से लेकर 15 वर्ष के बच्चो को दिया गया टिका सिकंदरा प्रखंड के शंकुल संसाधन केंद्र लहिला में मंगलवार को शंकुलाधीन सभी विधालयो में खसरा रूबेला का टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक सपन्न हुआ। सभी 13 विधालय में 9 माह से 15 वर्ष के बच्चो को टिका दिया गया।वही सिकंदरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रबधंक ने बताया की प्रखंड के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विधालयो में बच्चो को 11 बीमारियों से मुक्ति हेतु खसरा रूबेला का टिका दिया जा रहा है,ये टिका बिलकुल नि:,शुल्क है। .

मोबाइल वाणी की ओर से मोबाइल वाणी की श्रोताओ से खसरा रुबेला टीकाकरण हेतु अपील ताकि हमारे जिले व प्रखंड के बच्चों निरोग हो ये मोबाइल वाणी की तरह बिलकुल नि शुल्क सेवा है .....सिकंदरा मोबाइल वाणी से अमित कुमार सविता की रिपोर्ट

जमुई जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने राज्य सम्पोषित बालिका उच्च विधालय में मिजिलिस खसरा रूबेला टीकाकरण का शुभारभ किया

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बिहार राज्य के जमुई जिला के सिकंदरा प्रखंड से रवि शंकर जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के अंतर्गत 2 वर्ष की आयु के सभी कन्या शिशु का संपूर्ण टीकाकरण कराए जाने पर कन्या के माता-पिता को दो हजार रुपये प्रोत्साहन राशि मिलेगी।समाज कल्याण द्वारा निर्गत अधिसूचना में बताया गया है 2 वर्ष आयु वाले लाभार्थियों के बैंक खाता मे राशि भेजी जाएगी। आंकड़े के अनुसार राज्य में औसत शिशु दर 38 है। जबकि बालक एवं बालिकाओं की मृत्यु दर प्रति 1000 में क्रमश: 31 और 46 है। इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि राज्य में कन्या शिशु की मृत्यु दर बालक शिशुओं की अपेक्षा अधिक है ।इसका प्रमुख कारण कन्या शिशु का संपूर्ण टीकाकरण नहीं कराया जाना है। जन्म से लेकर 24 माह के अंदर तक सभी तरह के टीकाकरण कराने से जानलेवा बीमारियां जैसे टीबी,हेपेटाइटिस बी, पोलियो,गलघोटू, काली खांसी, टेटनस, हिमोफिल्स, इन्फलूएंजी टाईप बी, निमोनिया, खसरा, आदि से बच्चे सुरक्षित रहते है।

बिहार राज्य के जमुई जिला सिकंदरा प्रखंड से विजय कुमार मोबाइल वाणी के द्वारा जानकारी साझा करते हुए कहते हैं कि डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार प्रति वर्ष 30 लाख बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं, हालाँकि इनमें से 20 लाख बच्चों को टीकाकरण के जरिये सुरक्षित कर लिया जाता है।इसके बावजूद हर साल इस संख्या में इजाफा देखने को मिलता है।एक रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों में हर साल 20 करोड़ बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता है।सर्वे के अनुसार यह बात सामने आयी है कि भारत में 47% बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं।इसका मुख्य कारण होता है, पेट में संक्रमण के कारण जरुरी पोषक तत्व पेट से बाहर आ जाते हैं।इसका सीधा असर बच्चे के ब्रेन पर पड़ता है।गंदगी में खेलने,गंदा पानी पीने,बिना हाथ धोये खाना खाने से कीटाणु आंत तक पहुँच जाते हैं,जिससे काफी हानि होती है।

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