दिल्ली से संवाददाता रफ़ी की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बहादुरगढ़ हरियाणा के निवासी मनोहर लाल कश्यप से हुई। मनोहर लाल कश्यप कि वे उनके पारिवारिक वसीहत में बहन की कोई संतान नहीं होने कारण वसीहत के क़ानूनी हक़दार मनोहर लाल कश्यप ही थे। मनोहर लाल कश्यप के भाई रमेश ने वसीहत पर केस कर दिया। वसीहत प्रीतम पुरान के उत्तरी पश्चमी क्षेत्र में स्थित है। रोहणी कोर्ट में 22 दिसम्बर 2015 को मनोहर लाल कश्यप ने केस फाइल किया। इतने समय हो जाने के बाद भी कोर्ट किसी भी नतीज़े तक नहीं पहुंची।केस की पहली तारिक 3 फरवरी 2016 को मिली थी। अब तक तारिक ही बढ़ रही है। ऐसे मुद्दों को पहले आपस में सुलझाना चाहते हैं। जब बात नहीं बनती तब आदमी क़ानूनी मामलों को समझने के लिए वकील से सलाह लेता है और केस फाइल करता है। वकील भी पहले आपस में मामला सुलझाना चाहता है ,विपक्ष दाल को नोटिस के माध्यम से सुलह करने के लिए कहा जाता है। इन सभी प्रक्रियाओं से हमारे वकील ने मामले को सुलझाने का प्रयास किया। मनोहर लाल कश्यप ने बताया कि कोर्ट में अदालत की कार्यवाही को वकील समझाने की कोशिश करता है। कोर्ट में हुए अदालत की कार्यवाही की पूरी प्रतिक्रिया अंग्रेजी में होता है। यदि इसकी प्रतिलिपि हिंदी में मिले तो केस वाला व्यक्ति किसी और से भी सलाह मशवरा कर सकते हैं और हिंदी में समझने में सहूलियत होगी। तारीख़ मिलने पर उन्हें कोर्ट जाने के लिए एक दिन की छुट्टी लेना पड़ता है। कभी कभी कोर्ट जाना भी बेकार हो जाता है। बहुत समय ऐसा लगता है कि उनका कोर्ट में उपस्थित होना जरुरी नहीं होता । जज जब पुरे मामले को समझने लगते हैं तो हर दो -तीन महीने में जज बदल जाते हैं। जिससे समय की बर्बादी होती है। मनोहर लाल कश्यप ने बताया कि अब तक उनके मुक़दमे के लिए चार जज बदल चुके हैं ,नए जज के आने पर वे मामला समझे में 2 -3 तारीख दे देते हैं। ऐसी व्यवस्था की जाये जिससे मुक़दमे ऑनलाइन तकनिकी से जोड़ा जाये और जिससे जानकारी ली जा सके ,आदेश प्राप्त किया जा सके साथ ही अदालत की कार्यवाही को ऑनलाइन भी देखा जा सके या मुकदमा देख में समस्या हो तो मुकदमा सुन सके। जिससे समय की बचत हो सके और कारोबार को भी कोई नुक्सान ना हो। लेकिन जज को फ़ोन में कभी कभी चीज़ों को समझने में ग़लतफ़हमी हो सकती है और मुकदमा हार भी सकते हैं। इसलिए ऐसा एप बनाया जाये जिसमे मुकदमा का दिन भर का व्यौरा उनतक पहुंच जाये।साथ ही ऐसी ब्यवस्था भी की जाये जिससे यहाँ मुकदमा करने के समय ही पता चल उसके कि इस मुकदमे में उनका कितना खर्च होगा और मुकदमा जितमे के कितने प्रतिशत चांसेज़ है ,तो बहुत अच्छा होगा