जहाँ एक तरफ़ लॉकडाउन के बाद कम्पनियाँ लगातार श्रमिकों की छँटनी की प्रक्रिया जारी रखे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ़ बेरोज़गारी की मार झेल रहे श्रमिकों का कहना है कि "शहर में काम की अत्यधिक कमी होने के कारण घर वापस लौट जाना उनकी मजबूरी बन गयी है। यह हम श्रमिकों के लिए आम समस्या है। सरकार इसके लिए न पहले ज़िम्मेदार थी, न अब है।" आइए, सुनते हैं पूरी बात- जैसा कि आपको पता है कि कम्पनी की सरकार और सरकार की कम्पनी दोनों ही हमारे श्रमिक साथियों के श्रम से बनी हैं और सिर्फ़ अपनी पूँजी को बढ़ाने के लिए हर बार उनके श्रम का इस्तेमाल करती आयी हैं। लेकिन कोरोना-संक्रमण के बाद की बदली हुई परिस्थितियों में हम आपसे जानना चाहते हैं कि आपको क्या लगता है कि रोज़गार की व्यवस्था करने की ज़िम्मेदारी किसकी है? क्या आप भी बेरोज़गारी की मार झेल रहे हैं? अगर हाँ, तो इसके लिए आपने अभी तक क्या किया है?