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कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

झारखण्ड राज्य के देवघर जिले के हरकुल गाँव से शशिभूषण राय मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि लोग धरती की भीषण गर्मी से राहत चाहते हैं। इन दिनों जल स्तर काफी नीचे जा रहा है। और ऐसी कोई सुविधा नहीं है जो तुरंत बंद करने के लिए खराब चापाकल हो, लेकिन कई बार हमने मोबाइल वाणी के माध्यम से यह कहा है कि पेपर जिले के ग्राम ब्लॉक हर कुलगाम में एक चापाकल। बाकी दिन गरत है योकलताल से बने होते हैं और लगभग बीस से तीस घरों की आबादी वाला एक मसुरिया गाँव है जो हरजल होलाग है। लोगों को पानी से बहुत परेशानी होती है, वे इसे प्राथमिक विद्यालय बसरिया बसौरिया से स्कूल के प्रांगण में छापते हैं, जब स्कूल खुलता है, तो वे वहां से पानी पीने और खाने के लिए लेते हैं। ऊपर के बैगेल से पानी का उपयोग किया जाता है और सभी को अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें पानी की समस्या के लिए पैसे न देने पड़ें, जल जीवन मिशन के तहत भी काम चल रहा है, बल्कि यह सुलत तोलाग हर घर नल योजना है।

झारखंड राज्य के गिरिडीह जिला ब्लॉक बेंगाबाद से लक्ष्मण राणा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि गिरिडीह जिले के भ्रष्ट आईएस अधिकारी द्वारा चौबीस घंटे तक बिगुल बजाने या बिगुल बजाने का आदेश दिया जाता है। यह आवाज झारखंड सरकार के मुख्य सचिव तक भी पहुंचनी चाहिए क्योंकि आम ग्रामीणों की शिकायत है कि जब सोने का समय आता है तो रात भर डी. जे. लाऊड स्पीकर में बजाया जाता है, जो आज आम ग्रामीणों के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गयी है। क्षेत्र में कितने लोगों के मरने के बावजूद, अधिकारी इससे सबक नहीं लिए है।