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हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।
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झारखंड से सर्वेश तिवारी साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि बीसीसीएल के धनबाद केंदुआ बासुदेवपुर में सैकड़ों विस्थापित ग्रामीणों ने जमीन के बदले नियोजन और पुनर्वास की मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया था। ग्रामीणों ने 5 दिनों से हड़ताल कर रखा था और कोयला उत्पादन ठप कर दिया था। जिस पर मांगे मानी गई और हड़ताल हुई खत्म। बता दे कि मौके पर विधायक डॉक्टर इरफान अंसारी पहुंचे और संजय उद्योग लिमिटेड के मालिक एवं बीसीसीएल के जीएम तथा अनुमंडल पदाधिकारी धनबाद के साथ लंबी वार्ता हुई और मांगे मानी जाने के बाद हड़ताल समाप्त कर दी गई।
झारखण्ड राज्य के रांची ज़िला के कांके प्रखंड से मनोज कुमार झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं, कि झारखण्ड में जितने भी निजी विद्यालय के निजी शिक्षक हैं उनका आर्थिक व मानसिक दोनों तरह से शोषण हो रहा हैं।शिक्षकों को कम मज़दूरी पर रखा जाता हैं साथ ही उनका शोषण भी किया जाता हैं शिक्षकों को निजी स्कूल प्रबंधन व प्रबंधक द्वारा निलंबित करने की धमकिया भी मिलती हैं।उन पर मानसिक दबाव भी बनाया जाता हैं।इसका पूरा असर शिक्षा पर पड़ता हैं।झारखण्ड के शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री से अनुरोध हैं कि इस पर कड़ी कारवाही की जाए।
जिला रामगढ़ प्रखंड मांडू,ओरला पंचायत से उमेश कुमार जी मोबाइल वाणी के माध्यम से जानकारी देना चाहते है. कहते है की ओरला पंचायत के जो रोजगार सेवक है वो मजदूरो के साथ खिलवाड़ करते है दलालो के साथ साठ-गाठ करके इस पंचायत मे सड़क निर्माण या तालाब निर्माण या कोई भी काम हो वो मशीनो से करवाया जाता है और मजदूरो के नाम पर निकासी होती है ये निकासी कैसे होती है यह मजदूरो को भी नही पता। ना कोई योजना को सार्वजनिक किया जाता है ना ही अाम सभा की जाती है ऐसा विगत पांच-छह वर्षो से होता अा रहा है इसमें कोई सुधार नही है। अत: सरकार को चाहिए की ऐसे रोजगार सेवको पर नियंत्रण रखा जाए औऱ गलत करने पर कारवाई की जाए।
झारखंड राज्य के कोटबा ज़िला से हमारे श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया के सिलाई मशीन देना के नाम पर महिला लोगो से पैसे लूट रहे है |