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झारखंड राज्य के धनबाद ज़िले से बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से कोयला खदान बंद होने पर आधारित एक कविता प्रस्तुत कर रहे हैं।

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जिला हजारीबाग, ग्राम पोस्ट बादम, थाना बड़का गाँव से रुपेश राज जी झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से बोल रहे है कि झारखण्ड में कोयला खदानों का बंद होना हमारे गरीब मजदूरों पर भारी पड़ रहा है जिनसे वो बेरोजगार हो जायेगे । लगभग 70 % लोग काम कर के गरीब मजदूर अपना जीवन चला रहे हैं। कोयला खदानों के बंद होने से मजदूरों के बच्चों का भरण पोषण, उनकी शिक्षा पर असर पड़ेगा। और यह मजदूरों के लिए बड़ा चिंता का विषय है। ये मोबाइल वाणी के माध्यम से कहना चाहते है की कोयला खदानों के बंद होने के कारण अपनी जीविका नही चला पा रहे हैं। इनके लिए कोई अन्य काम की व्यवस्था होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के तहत एक जनवरी 2018 से झारखंड की 347 खदानें बंद हो जायेंगी. इन खदानों ने राज्य सरकार की ओर से लगायी गयी पेनाल्टी की राशि का भुगतान नहीं किया है. इन खदानों के बंद होने से करीब 17 लाख मजदूर बेरोजगार हो जायेंगे। कोयला खदान के बंद हो जानें से मजदूरों की रोजमर्रा की जिंदगी पर क्य प्रभाव पड़ा रहा है...?कोयला खदान बंद होने से खदान में काम करने वाले मजदूरों की क्या स्थिति ? और वे अब अपना और अपने परिवार के भरण पोषण कैसे कर रहे है ? साथ ही सरकार द्वारा बेरोजगार मजदूरों के लिए क्या किसी तरह की कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है....?