झारखण्ड राज्य के गिरिडीह ज़िला के जमुआ प्रखंड से शिव चरण कुमार झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि सरकार द्वारा आयुष्मान भारत गरीबों के लिए नहीं बल्कि अमीरों के लिए योजना लागू की गई हैं। जमुआ प्रखंड के बाटी गांव में आयुष्मान भारत के जो भी कार्ड आए हुए हैं वो केवल पारा शिक्षक,सेवानिवृत सेवक व नौकरी पेशे वालों को ही आवंटित हुए हैं। वही जिन्हें आयुष्मान भारत के यह कार्ड की ज़्यादा आवश्यकता हैं उन तक यह योजना नहीं पहुँची। देखा जा रहा हैं कि गरीबों को ध्यान में रख कर यह योजना तैयार की गई परन्तु उन तक ही इसका लाभ नहीं पहुँच पा रही हैं। सरकार द्वारा गरीबों के भावना के साथ खेलवाड़ किया जा रहा हैं। ग़रीब की जिंदगी सवारने व अच्छा स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने के बजाय संपन्न लोगों को निशुल्क लाभ प्रदान किया जा रहा हैं। सरकार अगर वाकई गरीबों की स्थिति में सुधार लाना चाहती हैं तो स्वतंत्र एजेंसी द्वारा सर्वे करवा कर उन निम्न आय वाले परिवारों को चिन्हित करें जिन्हें सरकारी योजना के लाभ की ज़्यादा जरुरत हैं। ऐसा करने पर वैसे परिवार भी सूची में आ जाएँगे जो संपन्न होने के बावज़ूद अवैध तरीके से योजना का लाभ उठा रहे हैं।

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सरकार द्वारा जब-जब जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत हुई ,भ्रष्टाचार जाने-अनजाने उन योजनाओं का हिस्सा हो ही जाता है। जिससे योजनाएं अपने लक्ष्य तक नही पहुँच पाती है । क्या यही हाल आयुष्मान भारत योजना..का भी होगा ? साथियों , आप के अनुसार सरकार अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने में क्यों चूक जाती है ?क्या आप को लगता है आयुष्मान भारत को भ्रष्टाचार मुक्त रखने के लिए पर्याप्त प्रावधान किये गए है ? क्या आप के क्षेत्र में आयुष्मान भारत की शुरुवात सही मायने में हुई है ?