बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से संतोष कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से प्रवासी मजदूरों के दशा के बारे में इंद्रदेव चौहान से बातचीत कर रहे हैं। इसमें इंद्रदेव जी का कहना है कि इन्होनें रोजगार की खोज में 1998 में जामनगर,गुजरात में मोटीखाबड़ी में काम ढूंढने गए थे वहाँ रिलायन्स कंपनी में काम कर रहे थे ,उस समय भी इस तरह की घटना घटी थी। उस समय यूपी के लड़के पर इल्जाम न देकर बिहारी पर इल्जाम डाल दिया गया और बिहारी को खदेड़ भगाना शुरू कर दिया।लेकिन उन्होंने ठान लिया था की काम करेंगे और वापस आकर अपना घर बनाएंगे। उन्होंने यह भी कहा की बिहारी लोग बहुत ही मेहनती होते हैं और जीवन हथेली में रख कर काम में ध्यान देते हैं।पर उस घटना के दहसत में फंसने के कारण उन्हें वाहन से भागना पड़ा।इंद्रदेव ने बताया की किसी भी संविधान में ऐसा नहीं लिखा है की प्रवासी लोगों के साथ भेद भाव किया जाए या वो बाहर जाकर स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकते। परन्तु वहां के लोग और राजनीति के कुछ चक्कर इस तरह की हरकत कर रहे हैं। उनहोंने यह भी कहा की इसका जिम्मेदार अभी सरकार ही है। प्रवासी मजदूरों के साथ सरासर अन्याय हो रहा है, ऐसा नहीं होना चाहिए। क्यूंकि प्रवासी मजदुर एक सपने लेकर बाहर काम करने जाते हैं। और उनहोंने बताया कि कोई भी इंसान देश में स्वतंत्र रूप से काम कर सकते है।